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नई दिल्ली। हिंदू महासभा ने यहां गोल मार्केट में पंडित नाथूराम गोडसे का पंद्रह नवंबर को बलिदान दिवस मनाया। अखिल भारत हिंदू महासभा ने गोडसे को भाव भीनी श्रद्घांजलि के रूप में श्रद्धा सुमन अर्पित किये। सभा में हिंदू महासभा के अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय तथा दिल्ली प्रदेश के पदाधिकारी उपस्थित थे। हिंदू महासभा के अंतरराष्ट्रीय संयोजक डॉ राकेश रंजन सिंह ने श्रद्घांजलि सभा को संबोधित करते हुए नाथूराम गोडसे और आप्टेजी के बारे में ऐसी जानकारियां दीं जो बहुत से लोगों को नही मालूम हैं जिनसे इनके महान व्यक्तित्व का पता चलता है।
उन्होंने विस्तार से बताया कि जब गोडसे फांसी के तख्ते पर चढ़े तो उनके एक हाथ में गीता और दूसरे हाथ में हिंदू राष्ट्र ध्वज था। वे हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गये। तदोपरांत जब आप्टेजी को फांसी पर लटकाया गया तो उनकी मृत्यु ही नही हुई, कानून के मुताबिक जिसे एक बार फांसी पर लटका दिया जाता है तो दोबारा फांसी पर नही लटकाया जा सकता, मगर आप्टेजी को कानून के खिलाफ सिर पर हथौड़े मारे गए और उनके पैर की नस काटी गयी, फिर दुबारा उन्हें फांसी पर लटकाया गया, जोकि यह निर्मम हत्या हुई। यह सारा प्रकरण अंबाला न्यायालय से आरंभ हुआ और अंबाला जेल में समाप्त हुआ।
पंडित बाबा नंद किशोर मिश्रा ने कहा कि नाथूराम गोडसे एक सुलझे हुए तत्कालीन दैनिक अग्रणी के संपादक थे, मगर इसके साथ-साथ वे महान देश भक्त और एक हिंदू चिंतक भी थे। हिंदू महासभा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष कर्नल डीके कपूर ने कहा कि नाथूराम गोडसे, वीर सावरकर और आप्टेजी, भारत के कर्मठ पुरूष थे, जिन्होने भारत के इतिहास को एक नयी दिशा दी, हमें उनसे शिक्षा ग्रहण करते हुये अपनी पहचान बनाते हुये हिंदू राष्ट्र बनाने की ओर अग्रसर होना चाहिए। सभा में दीपक कपूर, दीपक चोपड़ा, मनीष मिश्रा, सपन दत्ता, रवींद्र सिंह राठी, डॉ रवि रंजन चौधरी, अंग्रेज सिंह, जंग बहादुर क्षत्रिय आदि ने श्रद्धासुमन अर्पित किए।