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नई दिल्ली।नेशनल पैंथर्स पार्टी के अध्यक्ष प्रो भीम सिंह ने देश के मतदाताओं से जोरदार अपील की है कि जो भी उम्मीदवार खुलकर धारा-370 में संशोधन का समर्थन करते हैं, उन्हीं को वोट करें। यही जम्मू-कश्मीर के हित में है, इस संशोधन के होने से राज्य और केन्द्र के सम्बंध भी मजबूत होंगे। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में निर्वाचन पद्धति वास्तव में अपनी ही भूलों के कारण समाप्त हो गया है। बड़ी सावधानी के साथ खोजबीन करने पर पता चलता है कि उम्मीदवारों के बेहिसाब, असीमित खर्च और भ्रष्ट आचरणों की चुनावों में अनदेखी की जा रही है। यह सब देखकर वे इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि जब तक कोई वैज्ञानिक, तर्कसंगत और क्रांतिकारी परिवर्तन चुनाव पद्धति में नहीं लाया जाएगा, राज्य में लोकतंत्र को नहीं बचाया जा सकता।
यहां चेम्सफोर्ड क्लब में संवाददाताओं से उन्होंने कहा कि लोकतंत्र ऐसी सरकार भी जारी नहीं रख सकती, जिसको एक-तिहाई मतदाताओं का भी विश्वास प्राप्त न हो। धन और अपराधी तत्वों को चुनाव प्रक्रिया से दूर रखा जाना चाहिए। प्रो भीम सिंह स्वयं ऊधमपुर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं, जिसके लिए मतदान हो चुका है और अब वे प्रदेश में होने वाले मतदान के लिए मतदाताओं से अपील कर रहे हैं कि चुनाव पर थोपे गये प्रतिबंधों बायकाटों और कर्फ्यू के होते हुए भी वे मतदान करें, क्योंकि यही एक रास्ता है जो उन्हें हक-इंसाफ दिला सकता है। उन्होंने राज्य सरकार पर बायकाटों को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह कर्फ्यू लगाकर वास्तविक मतदाताओं को मतदान से दूर कर रही है।
उनका कहना था कि अगर कर्फ्यू न लगाया जाए, तो लोग बायकाट का कोई समर्थन न करें। उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीरी नेताओं की नजरबंदी से भी मतदाताओं में निराशा होती है। नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने पहले ही 3000 लोगों को भाड़े पर ले लिया है, जो श्रीनगर संसदीय चुनाव क्षेत्र में चुनाव में धांधली करने के लिए मोबाइल वोटर्स का काम करेंगे। फिर आप ऐसे चुनाव को स्वतंत्र और निष्पक्ष कैसे कह सकते हैं?
श्रीनगर-बडगाम संसदीय चुनाव क्षेत्र के मतदाताओं से विशेष अपील करते हुए पैंथर्स सुप्रीमो ने कहा कि उस क्षेत्र में खालिदा शाह को वोट करें, जो स्वर्गीय शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की बेटी हैं, जो अपने पिता की विरासत की हकदार हैं। पैंथर्स सुप्रीमो ने यह भी अपील की कि श्रीनगर के मतदाताओं को अपना कीमती वोट डॉ फारूख अब्दुल्ला को देकर बेकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि वे पहले ही संसद सदस्य बने हुए हैं। खालिदा शाह का संसद में प्रवेश कश्मीरी औरतों को हक-इंसाफ दिलाने में कारगर साबित हो सकता है।