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दूध के संकट पर विचार हुआ

पशुपालन एवं डेरी मंत्रियों का सम्‍मेलन

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श्री शरद पवार ने प्रोग्रेसिव डेयरी किसानो को  सम्मानित किया/shri sharad pawar honoured progressive dairy farmers

नई दिल्ली। राज्‍यों के पशुपालन और डेरी मंत्रियों का राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन शुक्रवार को हुआ, जिसमें डेरी विकास, दुग्‍ध उत्‍पादन एवं पशुपालन क्षेत्र से संबंधित अन्‍य मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। सम्‍मेलन में राज्‍य पशुपालन एवं डेरी विभागों के मंत्रियों एवं सचिवों के अलावा राष्‍ट्रीय डेरी विकास बोर्ड के प्रतिनिधि एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) संस्‍थानों के वैज्ञानिकों ने भी भाग लिया। दूध की कमी, गर्मी के मौसम के दौरान दूध की आपूर्ति, राष्‍ट्रीय डेरी योजना एवं डेरी विकास योजनाओं को सम्‍मेलन की कार्य-सूची में शामिल किया गया। चारा उत्‍पादन बढ़ाने, सामान्‍य एवं वन क्षेत्रों में चारा उत्‍पादन का विस्‍तार करने, चारे के अधिक उत्‍पादन क्षेत्र से, कमी वाले क्षेत्रों में चारे को भेजने के लिए द्विपक्षीय समझौते की संभावना, पशुधन का स्‍वास्‍थ्‍य एवं पशुधन बीमा योजना के अंतर्गत सहायता के उपयोग पर भी सम्‍मेलन में विचार-विमर्श किया गया। कुक्‍कुट विकास, पशुधन आनुवंशी स्रोतों का सूची-पत्र बनाना, सरकारी भेड़-बकरी फार्मों की समीक्षा, संभावना वाले फार्मों का पुनरुत्थान तैयार करने पर भी विचार-विमर्श हुआ।
केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने दुग्‍ध उत्‍पादन एवं डेरी क्षेत्र के विकास में योगदान देने के लिए राज्‍यों, केंद्र शासित प्रदेशों से च‍यनित डेरी किसानों को सम्‍मानित किया। उन्होंने कहा कि दूध की मांग, उत्‍पादन की अपेक्षा तेजी से बढ़ रही है, बढ़ती हुई मांग को पूरा करने के लिए दूध का उत्‍पादन 50-60 लाख टन प्रतिवर्ष की दर से बढ़ाए जाने की आवश्‍यकता है, जबकि पिछले पांच वर्षों में वर्तमान औसत 35 लाख टन है। देश के दुग्‍ध उत्‍पादन में 90 प्रतिशत योगदान देने वाले 14 प्रमुख दुग्‍ध उत्‍पादक राज्‍यों में राष्‍ट्रीय डेरी योजना के पहले चरण को लागू करने के अलावा केंद्र सरकार समाकलित मॉडल व्‍यापारिक डेरी फार्मों एवं चारा उत्‍पादन को प्रोत्‍साहित करने के लिए नई योजनाएं बना रही है।
राज्‍य पशुपालन और डेयरी मंत्रियों के सम्‍मेलन में 28 राज्‍यों के 56 प्रगतिशील डेयरी किसानों को सम्‍मानित किया गया। कृषि मंत्रियों ने राज्‍यों से पशुपालन क्षेत्र पर खास ध्‍यान देने को कहा कृषि मंत्री शरद पवार ने विभिन्न राज्‍यों से चुने गए 56 प्रगतिशील डेयरी किसानों को राष्‍ट्रीय दुग्‍ध उत्‍पादक पुरस्‍कार 2011 प्रदान किए। इन डेयरी किसानों का चुनाव राज्‍य सरकारों ने दुग्‍ध सहकारी संघों, केंद्र के साथ विचार-विमर्श से किया। चयन के मानदंड में अभिनव, प्रबंधन कार्य, पैदावार और प्रजनन प्रदर्शन, चारा, स्‍वास्‍थ्‍य और कृषि प्रबंधन शामिल है। प्रत्‍येक राज्‍य से पुरस्‍कार के लिए दो डेयरी किसानों को चुना गया। 28 राज्‍यों में से कुल 56 पुरस्‍कार प्राप्‍तकर्ताओं में 8 महिलाएं भी शामिल हैं।
डेयरी किसानों को पुरस्‍कार से सम्‍मानित करने के बाद पवार ने कहा कि यह किसानों का ही कठिन परिश्रम, धैर्य और विभिन्‍न उत्‍पादनों से प्राप्‍त अनुभव है, जिसके कारण भारत दुनिया में दुग्‍ध उत्‍पादन के मामले में प्रथम स्‍थान पर है। उन्‍होंने कहा कि किसानों द्वारा उत्‍पन्‍न की गयी दूध की प्रत्‍येक बूंद का लाभ प्रसंकरण उद्योग के लिए लाभप्रद है। पवार ने कहा कि सहकारी आंदोलन में अग्रगामी बने रहने के लिए हमारे किसानों ने अथक प्रयास किए हैं और इसी के परिणाम स्‍वरूप भारत में श्‍वेत क्रांति लाने में मदद मिली है। इससे पूर्व राज्‍य पशुपालन और डेयरी मंत्रियों के राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन का उद्घाटन करते हुए श्री पवार ने दूध, डेयरी उत्‍पादों, मीट और पोल्‍ट्री की मांग को पूरा करने के लिए उत्‍पादन और उत्‍पादकता को बढ़ाए जाने की आवश्‍यकता पर जोर दिया।

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