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चेन्नई। केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय, समुद्र में डकैती की घटनाओं पर कडी नज़र रख रहा है। वह इस काम में रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, नौसेना और जहाजरानी महानिदेशालय के साथ घनिष्ठ तालमेल बनाये हुए है। सरकार ने व्यापारिक जहाजों पर सशस्त्र रक्षक रखने के बारे में दिशा-निर्देश भी जारी किये हैं। यह जानकारी शुक्रवार को चेन्नई में केंद्रीय जहाजरानी मंत्री जीके वासन ने एक सेमीनार में दी। इस विचार गोष्ठी का आयोजन इंस्टीटयूट आफ चार्टर्ड शिपब्रोकर्स ने किया।
समुद्री डकैती की घटनाओं से निपटने की सरकार की कोशिशों के बारे में उन्होंने कहा कि सड़क और रेल के मुकाबले समुद्री मार्ग से मालवहन एक पर्यावरण हितैषी तरीका है। बंदरगाह और समुद्र में मौजूद जहाजों से जहरीला धुंआ निकलने में कमी लाने की और गुंजाइश है। सरकार ने जहाजरानी घटनाओं से निपटने के लिए एक कानूनी रूपरेखा तैयार कर दी है और इस संबंध में दो अंतर्राष्ट्रीय समझौतों पर हस्ताक्षर कर दिये हैं। इन समझौतो के नाम हैं रेक रिमूवल और समुद्री दावों पर सीमित देनदारी संबंधित कंनवेंशन। उन्होंने कहा कि जल्दी ही हम कुछ और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों पर हस्ताक्षर करने वाले हैं, जिससे हमारा कानूनी ढांचा मजबूत होगा।
सुरक्षा उपायों के बारे में वासन ने कहा कि भारत सरकार बंदरगाहों की सुरक्षा को सबसे उंची प्राथमिकता देती है, सभी बडे बंदरगाहों को सुरक्षा उपायों के बारे में निर्देश भेज दिये गए हैं, उन्हें धूम्र उत्सर्जन संबंधी मानकों का भी पालन करना है, इसी सिलसिले में उन्होने विचार गोष्ठी का आयोजन करने वाले संस्थान इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड शिपब्रोकर्स की सराहना की। इस संस्थान की दुनियाभर में 34 शाखाएं हैं, जिनमें से 3 भारत में हैं। भारत के करीब 500 व्यवसायिक लंदन मुख्यालय वाले इस संस्थान के सदस्य हैं। सेमीनार में जहाजरानी मंत्रालय और महानिदेशालय के अनेक वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।