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नई दिल्ली। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के परिषद की बैठक शुक्रवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल की अध्यक्षता में हुई, जिसमें इन संस्थानों के संचालक मंडल के अध्यक्षों ने हिस्सा लिया। बैठक के दौरान परिषद ने कई निर्णय लिए। परिषद ने स्नातक स्तरीय विज्ञान और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए डॉ टी रामास्वामी समिति के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की परिषद के समक्ष प्रस्तुत प्रस्तावों पर विचार किया। एनआईटी परिषद ने इन प्रस्तावों को मंजूरी भी दे दी। परिषद में इस बात पर सर्वसम्मति थी कि इस प्रस्ताव में विद्यालय स्तरीय और राष्ट्रीय स्तरीय परीक्षाओं के परिणामों का विवेकपूर्ण मिश्रण है और यह एक वैकल्पिक नामांकन प्रणाली के रूप में अमल में लाया जा सकता है, जिसमें परीक्षा प्रणाली में 12वीं कक्षा के पाठ्यक्रम से बेहतर तालमेल बनाकर प्रवेश परीक्षाओं की बहुलता और कोचिंग संस्थाओं पर निर्भरता कम की जा सकेगी।
परिषद ने संशोधित एनआईटी मेधा पुरस्कार को भी सैद्धांतिक रूप से सहमति दे दी, इसमें ग्रेड आधार पर उन छात्रों का शिक्षण शुल्क भी माफ किया जाएगा, जिन्होंने केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में शीर्ष स्थान हासिल किया हो और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में नामांकन भी कराया हो। इसके अलावा अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लाभार्थियों के लिए विशेष छात्रवृत्तियों का भी प्रस्ताव किया गया है। उम्मीद की जा रही है कि संशोधित छात्रवृत्ति प्रणाली अकादमिक वर्ष 2012-13 से अमल में आ जाएगी। परिषद ने एनआईटी तंत्र में शैक्षिक और शिक्षकेतर कर्मचारियों की नियुक्ति और काम कर रहे शैक्षिक कर्मचारियों के करियर आधुनिकीकरण के लिए विभिन्न नीतिगत विषयों पर चर्चा की और समाधान भी ढूढे। परिषद ने निर्णय लिया कि शैक्षिक नियुक्तियों के लिए एनआईटी में भी चतुर्स्तरीय प्रणाली लागू की जाएगी जो आईआईटी में पहले से काम कर रही है।