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सहारा ने मेधावी शिक्षार्थियों को दिया सहारा

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गोरखपुर। सहारा इंडिया परिवार के चेयरमैन सुब्रत राय सहारा ने गोरखपुर के मेधावी शिक्षार्थियों को छात्रवृत्ति अनुदान देने की योजना के क्रम में वर्ष 2011-2012 हेतु 638 छात्र-छात्राओं को चेक प्रदान किए। इस अवसर पर 600 स्नातक तथा 38 स्नातकोत्तर स्तर के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति का चेक विधान परिषद के सभापति गणेश शंकर पांडेय, मंडल प्रमुख सहारा इंडिया परिवार आरएल पटेल एवं सहारा इंडिया के वरिष्ठ क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं ने वितरित किए। इस अनुदान में स्नातक छात्रवृत्ति 9,000 रूपए एवं परास्नातक छात्रवृत्ति 18,000 रूपए वार्षिक निर्धारित की गई है।
चयनित 38 स्नातकोत्तर पात्रों में 76 की वार्षिक आय एक लाख रूपए से कम है, जिनके लिए यह छात्रवृत्ति किसी वरदान से कम नहीं है। चयनित स्नातकोत्तर विद्यार्थियों में 68 छात्राएं हैं और चार इंजीनियरिंग वर्ग के छात्र भी हैं। इसी तरह स्नातक के लिए चयनित 600 पात्रों में 92 पात्रों की वार्षिक आय एक लाख रूपये से कम है। स्नातक के चयनित पात्रों में 83 छात्राएं हैं एवं इसके अतिरिक्त दो छात्र व दो छात्राएं विकलांग भी हैं। समारोह में मुख्य अतिथि विधान परिषद के सभापति गणेश शंकर पाण्डेय ने कहा कि आज हर वर्ग, जाति समुदाय ने शिक्षा के महत्व को जाना है, क्योंकि शिक्षा भेद-विभेद नहीं करती। सहारा इंडिया परिवार ने उन्हें यह अवसर दिया है, इसलिए अब यह आप लोगों पर निर्भर है कि आप इसका कितना लाभ ले पाते हैं।
इससे पूर्व पार्क रोड स्थित राष्ट्रीय सहारा कार्यालय के प्रांगण में आयोजित इस कार्यक्रम में सहारा इंडिया परिवार के मंडल प्रमुख आरएल पटेल ने कहा कि हमारे देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, जरूरत है उन्हें सहारा देने की, सहारा इंडिया परिवार के मुख्य अभिभावक ने इसे समझा और आगे बढ़कर अल्प आय वर्ग के मेधावी छात्रों को सहारा दिया। उन्होंने कहा कि गोरखपुर सहारा इंडिया परिवार की जन्मस्थली होने के कारण सहाराश्री का यहां से विशेष लगाव भी है। गौरतलब है कि इसी योजना के अंतगर्त वर्ष 2010-2011 में 487 छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति प्रदान की गयी थी जिनमें से 471 स्नातक एवं 16 स्नातकोत्तर के छात्र एवं छात्राएं थीं।
सहारा इंडिया परिवार ने गोरखपुर जनपद वासियों की दुर्घटना में मृत्यु पर आर्थिक सहायता हेतु ‘जन्मभूमि कर्तव्यपूर्ति योजना’ का लाभ दिया है, साथ ही स्वरोजगार के क्षेत्र में कार्य करने हेतु ‘व्यवसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम’ तथा अभिवंचित वर्ग के बच्चों को साक्षर बनाने हेतु ‘साक्षर भारत योजना’ एवं शारीरिक अक्षमता कम कर समाज की मुख्य धारा से जोड़ने हेतु ‘विकलांग पुनर्वास कार्यक्रम’ पूर्व से ही चलाये जा रहे हैं।

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