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सिंगापुर। सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली के दिवा-भोज के अवसर पर भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि सिंगापुर के साथ हमारे व्यापार और निवेश संबंधों में गुणात्मक उन्नति हुई है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार सिंगापुर के साथ अपने संबंधों को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है, सिंगापुर के साथ संबंधों के कारण ही भारत की विदेश और आर्थिक नीतियों में महत्वपूर्ण परिवर्तन आया और आज इसका प्रादुर्भाव हमारी ‘पूर्व की ओर देखो’ नीति के रूप में हुआ है। उन्होंने कहा कि सिंगापुर ने भारत के लिए नए क्षितिज खोले हैं, सिंगापुर में जिस तेजी से बदलाव आया है और आर्थिक विकास हुआ है, वह आज के इस अनिश्चित विश्व के लिए, जहां हम रहते हैं, एक आशा की किरण है। सिंगापुर न केवल एशिया के लिए, बल्कि विश्व के लिए एक उदाहरण है, मानव संसाधनों, शिक्षा और बुनियादी ढांचे में यहां निवेश अनुकरण करने योग्य हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास की भारत की महत्वाकांक्षी योजना के लिए सिंगापुर एक मूल्यवान भागीदार बनकर उभरा है। आसियान में सिंगापुर व्यापार और निवेश में भारत का सबसे बड़ा भागीदार है। सिंगापुर से अधिक निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का हम स्वागत करते हैं। हमारे देशों के लोगों के बीच आदान-प्रदान, पर्यटन और आवागमन के साधनों में आई क्रांति से दोनों देश पहले की बजाय अधिक निकट आ गए हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत के 11 शहर सीधी विमान सेवा से सिंगापुर से जुड़े हैं। हमारे संग्रहालयों और विश्वविद्यालयों के बीच बढ़ रहे संपर्कों से मैं बहुत उत्साहित हूं। नालंदा विश्वविद्यालय परियोजना के लिए सिंगापुर का सतत सहयोग हमारे लिए बहुत उत्साहजनक है। सिंगापुर में काम कर रहे या शिक्षा प्राप्त कर रहे हजारों भारतीयों का सिंगापुर ने दिल से स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि भारत और आसियान के बीच वार्ता भागीदारी के 20 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में हम एक समारोह का आयोजन कर रहे हैं, इन 20 वर्षों की स्मृति में हम सिंगापुर के साथ निकटता से काम करने को उत्सुक हैं और चाहते हैं कि आगे आने वाले वर्षों में यह सहयोग और भी बढ़े।