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पणजी। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी, गोवा के मुख्यमंत्री दिगंबर कामत, सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव यूके वर्मा और देश-विदेश की कई मशहूर फिल्मी हस्तियों की मौजूदगी में हिंदी फिल्मों के मशहूर अभिनेता शाहरुख खान ने 42वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह-2011 का शुभारंभ किया। शाहरुख खान इस उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि थे। इस अवसर पर अंबिका सोनी ने मशहूर फ्रेंच निर्देशक बर्ट्रेंड टैवरनियर को लाइफटाइम अचीवमेंट सम्मान से नवाजा। गोवा की राजधानी पणजी से 35 किलोमीटर दूर मडगांव के रवींद्र भवन में यह उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया।
अंबिका सोनी ने फिल्म समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि यह समारोह कला और व्यवसाय के बीच संतुलन बनाने का प्रयास है, इसमें फिल्म से संबंधित सभी गतिविधियों और लोगों को एक छत के नीचे लाया गया है, व्यवसाय को आकर्षित करने के लिए फिल्म बाजार की व्यवस्था की गई है। उन्होंने वादा किया कि अगले साल तक विभिन्न फिल्मों के प्रदर्शन के लिए दो और थिएटर स्थापित किए जाएंगे। सोनी ने ज्यूरी की सुविधा के लिए समय-सारिणी में आवश्यक फेरबदल को ध्यान में रखने का आश्वासन दिया। कार्यक्रम में देश-विदेश से शामिल हुए सभी मेहमानों, विशेषकर फ्रेंच निर्देशक बर्ट्रेंड टैवरनियर, कई राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले दिग्गज निर्देशक जानु बरूआ, फिल्म निर्माता रमेश सिप्पी, अभिनेता प्रेम चोपड़ा आदि को इसमें शामिल होने के लिए सोनी ने धन्यवाद दिया।
मुख्य अतिथि शाहरुख खान ने फिल्म समारोह कहा कि प्राचीन काल से ही विभिन्न माध्यमों से इंसान अपनी बात कहता रहा है। सिनेमा, कहानी कहने का सबसे आधुनिक तरीका है, खान ने कला और व्यवसायिक फिल्मों में अंतर को अनुचित करार दिया और कहा कि कला आत्मा का भोजन है, जो पेट के भोजन से कहीं ज्यादा जरूरी है। उन्होंने इस प्रतिष्ठित समारोह के उद्घाटन के लिए खुद को आमंत्रित किए जाने पर अंबिका सोनी का आभार व्यक्त किया। अंबिका सोनी ने भी समारोह का उद्घाटन करने का निमंत्रण स्वीकार करने के लिए शाहरुख खान को विशेष तौर पर धन्यवाद दिया।
भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह-2011 इस बार गोवा में 23 नवंबर से 3 दिसंबर के बीच आयोजित हो रहा है, इसमें 67 देशों की 167 से ज्यादा फिल्में दिखायी जाएंगी। ईएफएफआई के इस 42वें सत्र का शुभारंभ जोआओ कोरिया और फ्रांसिस्को मांसो निर्देशित पुर्तगाली फिल्म द कौंसुल ऑफ बोरडॉक्स के प्रदर्शन से हुआ। कुल 90 मिनट लंबी यह रंगीन फिल्म दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान 1940 में अरिस्टिडेस डी सुसा मेंडेस नामक शख्स के प्रयासों से बोरडॉक्स में नाजियों के चंगुल से 10 हजार यहूदियों सहित 30 हजार लोगों को बचाने के घटनाक्रम पर आधारित है। इस फिल्म का 24 नवंबर को दोबारा प्रदर्शन किया जाएगा।
भारत से मलयालम फिल्म अदामिंते माकन अबू (आदम का बेटा अबू) इस समारोह के प्रतिस्पर्द्धा खंड के लिए चयनित अन्य 13 फिल्मों में शामिल है। अन्य फिल्में बेल्जियम, रूस, जापान, आयरलैंड, पोलैंड, डेनमार्क, कजाकिस्तान, कोलंबिया, जर्मनी, फिलीपींस, ईरान, इजरायल और कनाडा की हैं। स्वर्ण मयूर पुरस्कार के लिए प्रतिस्पर्द्धा कर रही भारत की यह फिल्म 84वें एकेडमी पुरस्कारों की सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म श्रेणी में भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में चुनी गई है।
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री और विशेष ज्यूरी सम्मान के रजत मयूर पुरस्कारों के लिए अन्य फिल्में भी प्रतिस्पर्द्धा में शामिल हैं। दुनिया भर के कई प्रसिद्ध फिल्म निर्माता इस समारोह के निर्णायक मंडल में शामिल हैं। इस समारोह में 60 अन्य फीचर और गैर-फीचर फिल्में भारतीय पॅनोरमा खंड के अंतर्गत दिखाई जाएंगी। पहली बार इस समारोह में 3-डी फिल्म को प्रदर्शन के लिए शामिल किया गया है। इस साल याद किए जाने वाले कलाकारों में सिडनी ल्यूमेट, रॉल रूइज, क्लाउडे चाबरोल, एडोल्फास मीकास, रिचर्ड लीकॉक, एलिजाबेथ टेलर और तारीक़ मसूद शामिल हैं।
फिल्म समारोह में भारतीय पॅनोरमा खंड की शुरुआत मलयालम फिल्म ‘उरुनामी’ से होगी। साथ ही अन्य भारतीय फिल्मों जैसे 'रंजना अमी अर अस्बो ना', 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' का भी प्रदर्शन होगा। इसमें दूसरे देशों की अनेक फिल्में दिखाई जाएंगी। इनमें से कुछ को कान, लोकार्नो और मॉण्ट्रियल फिल्म समारोहों में प्रसिद्धि प्राप्त हुई थी। समारोह में विशेष 'मास्टर क्लास' सत्र भी आयोजित किया जाएगा। पुनरावलोकन खंड के तहत इस साल दो महान निर्देशकों फ्रांस के लुक बेसन और ऑस्ट्रेलिया के फिलिप नोएसे की फिल्में दिखाई जाएंगी।