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नई दिल्ली। प्रवासी भारतीय कार्य मंत्री वयलार रवि ने बताया है कि प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय ने संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, कतर, कुवैत, बहरीन, जोर्डन और मलेशिया के साथ द्विपक्षीय श्रमिक करार किए हैं। प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय ने विदेश जाने वाले भारतीय कामगारों के कल्याण और सुरक्षा को सुरक्षित रखने के लिए कई पहलें की हैं।
वयलार रवि ने बताया कि जरूरतमंद और संकटग्रस्त भारतीय कामगारों को तुरंत राहत प्रदान करने के लिए भारतीय मिशनों में भारतीय समुदाय कल्याण कोष की स्थापना करना, नई दिल्ली में प्रवासी कामगार स्रोत केंद्र में सूचना प्रदान करने और कामगारों की समस्याओं से निपटने के लिए चौबीसों घंटे हेल्पलाइन और वाक-इन-काउंसिलिंग केंद्र है। यह केंद्र आठ भारतीय भाषाओं का प्रयोग करता है और इसका एक टोल-फ्री नम्बर है।
विदेश जाने वाले भारतीय व्यवसायिकों के हितों की सुरक्षा के लिए द्विपक्षीय सामाजिक सुरक्षा करार करना, भारतीय कामगारों को सूचना प्रदान करने और उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए दुबई में भारतीय कामगार साधन केंद्र, सरकार को उड़ीसा के 23 कामगारों की रिपोर्ट प्राप्त हुई है, जो सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक के बेंगुई में सीमेंट प्लांट शुरू करने के स्थल पर तैनात किए गए थे, खराब और अस्वास्थ्यकर स्थिति में हैं। एक अन्य मामले में उड़ीसा के कामगार, जो सूडान में भारत हैवी इलैक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) के कार्यान्वयन के अंतर्गत एक परियोजना, एक पॉवर प्लांट पर तैनात किए गए थे, उन्होंने उत्पीड़न, मजदूरी का भुगतान न करने, भोजन, आवास आदि के बारे में शिकायत की है जिससे उनको वापस भारत भेजने का अनुरोध किया गया है।
भारतीय दूतावास, किंशासा ने सूचित किया है कि नरेंद्र मलिक की मृत्यु 24 जून 2011 को बेंगुई में बीमारी के कारण हुई। सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक एक मलेरिया प्रवृत देश है। उस देश में रहने की स्थिति कठिन है और चिकित्सा सुविधाएं बहुत खराब हैं। भारतीय दूतावास, सूडान ने सूचित किया है कि 31अक्टूबर 2010 तक 216 कामगारों में से 198 कामगार वापस भारत लौट आए हैं और 18 कामगारों ने सूडान में ही अपना काम जारी रखने पर सहमति जताई है। बेंगुई में 23 कामगारों के संबंध में, प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय ने, उन्हें तुरंत और सुरक्षित रूप से वापस भारत भेजने के लिए, इस मामले को भारतीय दूतावास, किंशासा के साथ उठाया है। भारतीय दूतावास, किंशासा के हस्तक्षेप से अब सभी 23 कामगारों को वापस भारत भेज दिया गया है।