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जंगलों पर दबाव है, जंगल बचाएं

चार दिवसीय प्रथम भारतीय वन कांग्रेस

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रंजन चटर्जी/ranjan chatterjee

नई दिल्ली। योजना आयोग के सलाहकार रंजन चटर्जी ने कहा है कि समझदारी की कमी की वजह से जंगलों पर दबाव है, वनों को केवल संरक्षित करने की ही जरूरत नहीं है, बल्कि वनों को बढ़ावा देने की भी जरूरत है, वनों से लगाव हम सब का है और हमें वनों और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखने की बहुत जरूरत है। नई दिल्ली में प्रथम भारतीय वन कांग्रेस के समापन समारोह चटर्जी ने कहा कि योजना आयोग सभी कार्यों के लिए निधि उपलब्ध कराने के लिए तैयार है, लेकिन इसका मूल्यांकन होना चाहिए। उन्होंने सदस्यों से जंगलों की समस्या, जीआईएस नक्शा, जनजातियों की समस्याएं और उनके अधिकारों सहित निचले स्तर से संबंधित अन्य समस्याओं को समझने और उनको दूर करने का आह्वान किया।
चार दिन की इस कांग्रेस में यह महसूस किया गया कि देश भर में वन्य विभागों के अग्रणी संगठनों के पुनर्गठन के लिए बारहवीं पंचवर्षीय योजना में विशेष प्रावधान की जरूरत है, ताकि सामाजिक अपेक्षाओं को पूरा किया जा सके, सतत् विकास के लिए राष्ट्रीय स्तर पर वनों से संबंधित मुद्दों को योजनाओं और विकास की प्रक्रिया में शामिल करने की जरूरत है और यह आवश्यक है कि वनों से संबंधित मुद्दों को नीति और निर्णय प्रकिया में शामिल किया जाए। कांग्रेस ने भारत के जीडीपी में व्यापक लाभ, संयुक्त वन्य प्रबंधन कार्यक्रम में दूसरी पीढ़ी का सुधार और अधिक से अधिक अनुसंधान संगठनों की स्थापना पर जोर दिया है। इस संबंध में प्रतिनिधियों ने प्रथम भारतीय वन कांग्रेस की बैठक में वन चार्टर-2011 को अपनाया। चार्टर के अनुसार वन्य क्षेत्रों में पर्याप्त निवेश का परामर्श दिया गया है। भारतीय जीडीपी में वन्य क्षेत्र का योगदान दो प्रतिशत का है, जिसके विश्लेषण की जरूरत है। केंद्रीय वन्य समिति जिसकी स्थापना 1950 में की गई थी, जिसे एक उच्च संस्था के रूप में बदलने की जरूरत है, जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री हों, ताकि नीति निर्माण में सभी अंशधारकों को शामिल किया जा सके।
कांग्रेस ने वन्य गतिविधियों और नष्ट हुए जंगलों के पुनर्निर्माण से संबंधित योजनाओं के तालमेल पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बताई और कहा कि संयुक्त वन्य प्रबंधन कार्यक्रमों के उत्थान जैसे कार्य, निश्चित रूप से जंगलों पर जीवन यापन करने वाले गरीब समुदायों के सामाजिक और आर्थिक विकास के एजेंट हैं, जिसमें दूसरी पीढ़ी की सुधार की आवश्यकता है। सतत् वन्यजीव प्रबंधन के लिए बारहवीं पंचवर्षीय योजना में प्राथमिकता देकर उचित राशि का प्रावधान और संरक्षित क्षेत्रों के चारों तरफ पर्यावरण विकास से संबंधित गतिविधियां शुरू करने पर जोर दिया गया है। चार्टर में यह दर्शाया गया है कि सतत् खनन के लिए यह जरूरी है कि वन्य क्षेत्र में खनन संबंधी कार्य वैज्ञानिक तरीके से किए जाएं।
कांग्रेस में भाग ले रहे सदस्यों ने भूमि नीति, शहरी भू-क्षेत्र, शासन एवं संस्थागत सुधार, पारंपरिक ज्ञान, वन्य प्रबंधन का मूल्यांकन सहित और अनेक मुद्दों पर चर्चा की।

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