स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
नई दिल्ली। भारत सरकार विभिन्न समुदायों और पुलिस के बीच तालमेल स्थापित करने के लिए एक अलग शाखा बनाने पर विचार करेगी। इस शाखा की एकदम अलग वर्दी होगी। यह बात गृह मंत्री पी चिदंबरम ने शुक्रवार को गृह मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति के सदस्यों के सुझावों का उत्तर देते हुए कही। समाज और पुलिस विषय पर विचार करते हुए सदस्यों ने विभिन्न प्रदेशों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इसे कारगर बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
पुलिस ने विभिन्न शहरों और राज्यों में जनता और पुलिस की समस्याओं का समाधान करने और अपराध के पीड़ितों की सहायता करने के लिए कई पहलकदमियां की हैं। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इन कार्यक्रमों में से कुछ सफल रहे हैं और इन कार्यक्रमों को शुरू करने वाले व्यक्तियों के स्थानांतरित हो जाने के बावजूद ये उपाय काम करना जारी रखे हुए हैं। समुदाय और पुलिस के विभिन्न आदर्श, देश में कार्यांवित किए जा रहे हैं। चिदंबरम ने कहा कि केरल का आदर्श एक सर्वोत्तम आदर्श है, जबकि दिल्ली और तमिलनाडु के आदर्शों को भी किसी हद तक सफलता प्राप्त हुई है। अन्य राज्यों में भी पहलकदमियां की गयी हैं, लेकिन उन्हें समर्थन देने की आवश्यकता है। केंद्रीय ग़ृह मंत्री ने सदस्यों को सूचित किया कि समुदाय-पुलिस में उनकी भूमिका के लिए पुलिस को संवेदनशील बनाने के लिए पुलिस अकादमी में नए पाठ्यक्रम भी तैयार किए जा रहे हैं।
सदस्य अपने इस सुझाव पर सर्वसम्मत थे कि देशभर में गश्त लगाने वाले सिपाहियों की संख्या में वृद्धिकी जानी चाहिए। उन्होंने कानून लागू करने वाली एजेंसियों में रिक्तियों, कमजोर बुनियादी ढांचे और कमजोर मनोबल पर चिंता व्यक्त की। चिदंबरम इस बात पर सहमत थे कि राज्यों को समुदाय-पुलिस कार्यक्रम को लागू करने में गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। बैठक गृह राज्य मंत्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन, ग़ृह राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य खगन दास, टीडीपी के एम वेणुगोपाल रेड्डी, कांग्रेस पार्टी के डॉ टोकचम मेनिया, डॉ अशोक शेखर गांगुली, भुवनेश्वर कलिता, एच के दुआ, डॉ के केशव राव और मोहम्मद अली खान उपस्थित थे।