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घरेलू उत्पाद में भारत की तीव्र प्रगति

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नई दिल्ली। अब समय आ पहुंचा है, जब भारतीय अर्थव्यवस्था में सभी दावा धारकों को आगे बढ़कर भाग लेना चाहिए और प्रतिस्पर्धा की संस्कृति का निर्माण करने के लिए राष्ट्रीय आंदोलन करना चाहिए ताकि अभी नवीकरण को प्रोत्साहन मिले, और सुधारों की दूसरी पीढ़ी तैयार हो सके। निगमित मामलों के मंत्री डॉ एम वीरप्पा मोइली ने भारत में प्रतिस्पर्धा के मित्रों के नाम से नई दिल्ली में भारतीय निगमित मामलों के संस्थान और निगमित मामलों के मंत्रालय को संबोधित करते हुए ये विचार व्यक्त किए।
उन्होंने बताया कि हाल के अध्ययनों अनुसार भारतीय सकल घरेलू उत्पाद अब बढ़कर 85 ट्रिलियम हो जाएगा और इस मामले में हमारा देश चीन और अमरीका से भी आगे हो जाएगा। उन्होंने बताया कि अब हमें उच्च उत्पादकता, और कुशलता अभिनवीकरण की जरूरत है। प्रतिस्पर्धात्मक सुधारों का मुख्य उद्देश्य यह है कि आर्थिक वृद्धि का उच्च स्तर बढ़ाते रहें, मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखें, उत्पादकता को बढ़ाएं, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा बढ़ाएं और रोजगार के अधिक अवसर बढ़ाएं। इस सम्मेलन का आयोजन नियमन एवं प्रतिस्पर्धा संस्थान और भारतीय निगमित मामलों के संस्थान (आईआईसीए) ने नई दिल्ली किया था। मोइली ने यह भी कहा कि हाल के अध्ययन के अनुसार 2050 में भारतीय सकल घरेलू उत्पाद 85 ट्रिलियन हो जाएगा जो चीन और अमरीका से भी आगे हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हमें सक्षमता, अभिनवीकरण या प्रतिस्पर्धा की उच्च संस्कृति हासिल करने की आवश्यकता है।
मोइली का कहना था कि प्रतिस्पर्धा की नीति और कानून ऐसे माध्यम हैं जिनका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रतिस्पर्धात्मक सुधार उपायों का मुख्य उदेश्य है–आर्थिक वृद्धि के उच्च स्तर का टिकाऊ बनाना, मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखना, उत्पादकता बढ़ावा, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता हासिल करना और रोजगार के अवसरों को पैदा करना।प्रतिस्पर्धात्मक सुधार उपायों के प्रमुख उद्देश्य हैं- आर्थिक वृद्धि, मुद्रास्फीति नियंत्रण कानून, ऐसे माध्यम हैं जो पिरामिड की नींव को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं और सुधार कार्यसूची की नीति के अंदर पारिभाषित क्षण होंगे। सम्मेलन में देश और विदेश से भारी संख्या में विशिष्ट व्यक्ति शामिल हुए थे और सरकार उच्च अधिकारियों, प्रतिस्पर्धा अधिकारियों कानूनी पेशेवर लोगों अर्थशास्त्रियों, शिक्षा शास्त्रियों, शोधकर्ता, चिंतकों, जनसंचार माध्यमों और समाज से अनेक व्यक्ति शामिल हुए थे।
इस सम्मेलन को उपयुक्त समय पर और अत्यधिक आवश्यक मंच उपलब्ध कराया गया है जिसमें विभिन्न दावा धारकों को आकर शामिल होकर अपने विभिन्न प्रकार के विचारों के आदान-प्रदान करने, राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मक नीति की प्रक्रिया तैयार करने और प्रतिस्पर्धात्मक कानून बनाने का अवसर उपलब्ध होता है। विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किये, जिनमें आस्ट्रेलिया के आलान सेल्स, डीन और न्यूजीलैंड स्कूल ऑफ गर्वमेंट और आस्ट्रेलिया से पूर्व नियमित प्रतिस्पर्धा धनेंद्र कुमार, राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा नीति समिति के चेयरमैन एसएन धींगरा, सीसीआई के सदस्य पीटर वर्गिस, आस्ट्रेलिया के हाईकमिश्नर ईआरए के चेयरमैन, इंडियन वेंचर कैपिटल एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र स्वरूप, संदीप वर्मा रक्षा मंत्रालय के निदेशक आदि उपस्थित थे।

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