नीरज साल्वे
मुंबई। संजय दत्त ने अपनी दोस्त मान्यता से शादी कर ली है। सुना गया है कि मान्यता गर्भवती भी है। इस दोस्ती को और उसके बाद शादी की चर्चाओं को लेकर परिवार में घमासान भी खबरें आ रही थीं। इसके समाधान कि लिए संजय अपना घर छोड़ रहे हैं, यह भी खबर है। संजय दत्त का जीवन भी उथल-पुथल से भरा है। उनके साथ विवादों की जैसे एक श्रंखला है।
फिल्मी दुनिया के सत्तर के दशक के महान सितारे सुनील दत्त के जीवन में नरगिस दत्त के देहावसान और इससे ज्यादा त्रासदपूर्ण घटना और क्या रही होगी कि उन्हें अपने एक मात्र पुत्र संजय दत्त के गलत रास्तों पर उतर जाने के सवाल पर मुंह छिपाना पड़ेगा और समाज एवं देश को बार-बार सफाई देनी पड़ेगी। सुनील दत्त ने अपने सामाजिक और फिल्मी जीवन में अपार सफलताएं हासिल की हैं जिनसे उन्हें देश की राजनीति में भी शानदार अवसर मिले। नरगिस दत्त के देहावसान से टूटे इस परिवार में जो तूफान आने शुरू हुए उनको उनके पुत्र संजय दत्त ने रोकने में कोई मदद करने के बजाए बल्कि उनको और घर में आने दिया।
ठीक-ठाक से पटरी पर चलते फिल्मी करियर में संजय दत्त के मुंबई बमकांड में शामिल होने के आरोप से लेकर बरी होने तक के सफर में सुनील दत्त पूरी तरह टूट गये थे। यह पूरा परिवार देश के सामने सफाई देता फिरता रहा कि उनका परिवार देशभक्त है और संजय दत्त का मुंबई ब्लास्ट से कोई मतलब नहीं है। पर संजय दत्त ने जो किया और या नहीं किया, इसका खामियाजा पूरी तरह से सुनील दत्त ने ही उठाया है। संजय दत्त पर मुकदमा चलने के दौरान ही सुनील दत्त इस दुनिया को अलविदा कह गये।
आज संजय दत्त उनके उत्तराधिकारी हैं। इस नाते उनके सामने कई और चुनौतियां आ गई हैं जिनमें सुनील दत्त की विरासत को संभालना सबसे बड़ी चुनौती है। दत्त परिवार की इस दूसरी पीढ़ी पर भी विघटन के खतरे मंडरा रहे हैं। चाहे वह पारिवारिक हों या सामाजिक। संजय के जेल में रहने के दौरान उन्हें निराशा से बचाने के लिए नैतिक सहारा दे रही उनकी बहन प्रिया और बेटी तृश्ला इस बात का विरोध करती रही हैं कि संजय दत्त जिस कन्या मान्यता के साथ रह रहे हैं, वह उससे शादी न करें। लेकिन संजय दत्त ने इसमें किसी की नहीं सुनीं है और अपने फैसले को अंजाम दे दिया है। चाहे इसके लिए उन्हें अपना घर छोड़ने का भी फैसला करना पड़ा। इस परिवार पर यह नया संकट है।
हालांकि संजय दत्त के सूत्र इस प्रश्न पर अब तक कोई जवाब नहीं दे रहे थे। संजय दत्त इस समय जमानत पर रिहा हैं और उन्हें यह फैसला सामने लाना ही होगा कि उनके आगे के जीवन के बारे में क्या योजनाएं हैं। यदि संजय दत्त किसी मामूली पृष्ठभूमि से अथवा मात्र एक कलाकार की पृष्ठभूमि से आए होते और उनके पिता से विरासत में मिले सामाजिक सरोकार उनके साथ नहीं होते तो तब उनके लिए इस प्रश्न और उसकी जवाबदेही का कोई मतलब न होता।
क्योंकि संजय दत्त किसी ऐसी संपदा के वारिस हैं जो उन्होंने पिता से विभिन्न रूपों में मिली है तो उनकी जवाबदेही लगभग सभी ऐसे मामलों में होती है जिनका सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों से जरा भी संबंध है। संजय दत्त ने अपने जीवन के सबसे कठिनतम संघर्ष को करीब से देखा और झेला भी है, अगर यह संघर्ष सामाजिक बुराइयों और उनके फिल्म जीवन के उत्थान को लेकर हुआ होता तो आज लोग सुनील दत्त को भूल जाते और संजय दत्त को याद रखते।
देखने में संजय दत्त का व्यक्तित्व उनसे यह मांग करता है कि फिल्मों के बाद उनका जीवन भारतीय राजनीति की तरफ बढ़ना चाहिए, लेकिन एक सोहबत ने उनके जीवन में जो जहर घोला है, उससे मुक्त होकर वो उधर बढ़ें भी तो कैसे? इसी कारण प्रिया दत्त को जो कि सुनील दत्त की पुत्री हैं, अपने पिता सुनील दत्त के परिवार की राजनीतिक रस्म अदायगी करनी पड़ रही है। जहां तक उनकी भावी फिल्मों का प्रश्न है, तो उनके पास केवल एक यही प्लेटफार्म बचा है, जिसमें वह चाहे जब तक स्याह-सफेद करते रहें।