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लखनऊ।योजना आयोग ने ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में महिलाओं, बच्चों, अल्पसंख्यकों, स्वास्थ्य तथा एड्स-एचआईवी आदि योजनाओं का लाभ लाभार्थियों तक पहुंचाने और उनके सफल क्रियान्वयन के लिये जमीनी स्तर पर आंकलन शुरू कर दिया है। इसके लिए आयोग स्वयं सेवी संगठनों के सहयोग से क्षेत्रीय, प्रदेशीय और राष्ट्रीय स्तर पर कार्यशालाओं का आयोजन कर रहा है। इसी सन्दर्भ में लखनऊ में पथ, नावो और विहाई ने एक कार्यशाला का आयोजन किया जिसमें उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से दो दर्जन प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसमें स्वयं सेवी संगठनों के अलावा हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और साथ हीदि समुदाय के लोगों ने भाग लिया।
इन कार्यशालाओं में यूनीसेफ विशेष रूप से सहयोग दे रहा है। इस अवसर पर पथ की अध्यक्षा डॉ मंजू अग्रवाल ने बताया कि योजना आयोग अपनी ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजनाओं का ?मिड टर्म? मूल्यांकन कर रहा है। इसमें स्वयं सेवी संगठन विभिन्न समुदाय के लाभार्थियों की आवाज को योजना आयोग तक पहुंचायेगा। ये एनजीओ आयोग को बतायेंगे कि सरकारी योजनाओं की वस्तुस्थित क्या है, क्या यह योजनाएं लाभार्थियों तक पहुंच रही हैं, उसकी गुणवत्ता क्या है और उसमें समुदाय की भागीदारी कितनी है? उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि सरकार समुदाय के लोगो की आवाज को महत्व दे रही है साथ ही स्वयं सेवी संगठनों को भी अपने साथ जोड़ रही है।
उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस तरह की कार्यशालाओं से एक दृष्टिकोण सामने आएगा और सरकार को और अच्छी तरह से इनके किर्यान्वयन करने में मदद मिलेगी। यह कार्यशाला राज्य स्तर पर हो रही है। इसमें समुदाय की भागीदारी, उसकी योजनाओं तक पहुंच, योजनाओं की गुणवत्ता, वस्तुस्थित और जमीनी हकीकत की रिर्पोट तैयार करके उसकी सिफारिश को रीजन स्तर पर भेजा जायेगा और वहां से राष्ट्रीय स्तर पर एकत्र करके योजना आयोग तक पहुंचेगी। इस तरह की कार्यशालाओं के आयोजन हर प्रदेश में हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखण्ड और हरियाणा उत्तरी क्षेत्र में आते है और इस क्षेत्र की कार्यशाला 23 व 24 सितम्बर को चंड़ीगढ़ में होगी।
यूपी वालिटरी हेल्थ एसोसिएशन के एक प्रतिनिधि ने बताया कि 21 अगस्त को वालिटरी हेल्थ एसोसिएशन आफ इंडिया की दिल्ली में राष्ट्रीय स्तरीय बैठक हुई थी जिसमें कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला गया। योजना आयोग यह जानना चाहता है कि उनकी योजनाओं- जननी सुरक्षा योजना, परिवार नियोजन, ग्रामीण स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस, सुरक्षित प्रसव, सुरक्षित गर्भपात, बाल स्वास्थ्य, आशा,की भूमिका, स्तनपान की जानकारी टीकाकरण, छह जानलेवा बीमारियां- गलाघेटू, काली खांसी, टिटनेस, खसरा, पोलियो और क्षय रोग से कितने बच्चें उपचारित होकरस्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे है और विभिन्न समुदायों की कितनी पहुंच इन योजनाओं तक है। अयन चक्रवर्ती इस कार्यक्रम के समन्वयक हैं।