महेश वत्स
मुंबई। शताब्दि के महानायक अमिताभ बच्चन अपने यशस्वी पुत्र अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या के सुखी एवं समृद्घ वैवाहिक जीवन और पौत्र की कामना लिए मंदिरों, देवालयों सर्वज्ञ पीठों और मजारों पर जा रहे हैं। इसके लिए महानायक ज्यादा ही जल्दी में हैं। वे पिछले दिनों पुत्र प्राप्ति के लिए फतेहपुर सीकरी की दरगाह पर भी मन्नत मांग आए हैं कि उनके घर जल्दी ही ‘पोते’ की किलकारी सुनने को मिले। मजे की बात है कि यह शादी होने से पहले ही महानायक की तमन्ना रही है कि जल्दी से अभषेक एक पुत्र पैदा करें। उनकी यह अभिलाषा सुनकर लोग सकते में आ गए थे। जब अभषेक की शादी ही नहीं हुई है तो ‘वो’ कैसे होगा? दोनों की शादी से पहले ही महानायक ने मुंबई में एक मंच से कहा था कि ‘मै अभिषेक से कहूंगा कि वह जल्दी ही एक पुत्र पैदा करे।’
महानायक साहब! हम आपसे एक बात पूछने की हिम्मत जरूर करेंगे। आपने बिन शादी के ही अभिषेक से जल्दी ही पुत्र पैदा करने की बात किस बिना पर कही थी? चूंकि आपने पूरी दुनियां देख रखी है, इसलिए हम समझे कि हो सकता है कि बिन औरत के भी पुत्र पैदा करने की कोई टेक्नालाजी विकसित हो गई होगी और जल्दी ही उसका प्रयोग अभिषेक पर होने वाला होगा। कोई आश्चर्य की बात भी नहीं है। इस पर भी विदेशों में बड़े-बड़े अनुसंधान चल ही रहे हैं। बहरहाल उस समय लोग तो समझे कि महानायक ने ये कौन सा कार्ड चला दिया? बात इसलिए भी पकड़ में आने वाली थी कि आपने इन दोनों की शादी के कुछ ही दिन पहले अभिषेक और ऐश की शादी को अटकल बता कर सबकी नींद उड़ा दी थी। मगर एक दिन आपने ऐश सहित ‘सपरिवार’ काशी पहुंचकर उन सबके होश फाक्ता कर दिये जो आपकी बात सुनने के बाद बिना औरत के ही पुत्र के सपने देखने लगे थे। यह सच्चाई माननी ही पड़ी की सब कुछ हो सकता है पर ताली एक हाथ से नहीं बज सकती। यह शादी हुई। काशी पधार कर वहां यश कीर्ति, सुख समृद्घि, मंगलदोष निवारण और महामृत्युंजय अनुष्ठान भी किया। सर्व दोष मुक्ति के लिए आप उज्जैन के महाकाल मंदिर में भी गए थे।
महानायक के साथ वो भी थे। जान गए हैं ना? समझ जाइये! जब अभषेक के पुत्र का नामकरण होगा तो उसके नाम की घोषणा भी वही करेंगे। अरे, सभी मौकों पर महानायक के पारिवारिक प्रवक्ता और उनके जगत प्रसिद्घ भाई अमर सिंह, जिन्होंने अमिताभ बच्चन के पारिवारिक यज्ञ में उन्ही की तरह भाग लिया। उनके भी ललाट पर पुता पीला चंदन रोली केसर का तिलक एहसास कराता है कि अमिताभ और अमर सिंह दो बदन और एक जान हैं। महानायक परिवार की जितनी निकटता समाजवाद के सुपर स्टार अमर सिंह से दिखाई पड़ती है, उनके सगे भाई अजिताभ बच्चन उससे कहीं बहुत पीछे दिखाई देते हैं। कुछ ऐसा ही नजारा अभषेक की बुलेटप्रूफ शादी में भी देखने को मिला था, खैर! यूं तो विवाह-शादी, मुंडन, ये बड़े ही निजी मामले कहलाते हैं। इनमें बिन बुलाए नहीं जाना चाहिए, लेकिन अपने कैमरे वाले तो उस समय ब्रेकिंग शॉट लेने के लिए अपनी जान तक देने को तैयार रहते हैं, क्योंकि टीआरपी के चक्कर में उनके स्टूडियो का डंडा जो उनके ऊपर लहराता रहता है।
अब फिर वैसा ही मौका आने वाला है, जब एक झलक के लिए कैमरे वाले उसी तरह से तरसाए जाएंगे, जैसे वे शादी में तरसा दिये गए थे। दादी मां को आप नहीं जानते? बंगाल का काला जादू जानती हैं, इसलिए चैनल वाले ज्यादा गलत फहमी नहीं पालें। हमें आज वे क्षण याद आ रहे हैं जब फिल्म जगत में बड़ी जबरदस्त कानाफूसी हो रही थी कि अभी अभिषेक है ही क्या? अरे! है क्यों नहीं? जिस दिन अभिषेक को लखनऊ में मुलायम सरकार का प्रतिष्ठापूर्ण ‘यश भारती’ पुरस्कार मिला तो वे भी सरकार से मान्यता प्राप्त स्टार हो गए, और जिस दिन विश्वसुंदरी के साथ उन्होंने सात फेरे लिए, सुपर स्टार उस दिन हो गए। अब अभिषेक में वास्तव में अभिनय कला है कि नहीं इस बारे में ‘नो कमेंट।’
महानायक जी! चलते-चलते आपसे एक बात और पूछनी है। आपने अभिषेक से पुत्र ही क्यों मांगा, पुत्री क्यों नहीं या कोई भी संतान ही क्यों नहीं? आपकी अभिषेक से यह डिमांड सुनकर उनके तो चेहरे खिल उठे, जिन्होंने पुत्र न पैदा करने पर अपनी पत्नियों पर कहर ढा रखा है और वे बेचारी पुत्र की अभिलाषा में तांत्रिकों, दरगाहों पर टोटके करने वालों के चक्कर लगा रही हैं, और थक हार कर ससुराल के अत्याचार सहते हुए महिला थानों और महिला आयोगों में शरण ले रही हैं। जब से आपने पुत्र वाली बात कही है, कुछ माफिया पति डंके की चोट पर कहने लगे हैं कि जब महानायक ने बोल दिया है तो अब किस सास-ससुर और दहेज एक्ट की चिंता? पर महानायक जी आपको तो पुत्र मिल ही जाएगा, मगर उनका क्या होगा जिनकी पुत्र न पैदा करने पर और ज्यादा पिटाई शुरू हो जाएगी।
काश! आप कह देते कि मुझे अभिषेक से पुत्री चाहिए तो आप भी एक साथ कई पुण्य काम कर जाते! एक तो अपने इकलौते समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव की, पुत्रियों की घटती संख्या पर, बढ़ती चिंता कम हो जाती और उनकी लड़कियों की संख्या बढ़ाने की प्रेरणा को बल मिलता, दूसरे वे माताएं बहुत खुश होतीं जो पुत्र न जनने पर रोज पतियों और ससुराल वालों के जुल्म ओ सितम सहती आ रही हैं। खैर, यह दुनिया है, आप भी किस-किस को देखेंगे? जल्दी ही अपने घर आंगन में किन्नरों को बुलाइए। शुभ आशीष!