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नई दिल्ली। देश पर भारी खतरों को लेकर विश्व की शक्तिशाली सेनाओं में एक भारतीय सेना भारत के कमजोर राजनीतिक नेतृत्व के कारण भारी चिंता और दबाव में लगती है, शायद इसलिए थल सेनाध्यक्ष जनरल दीपक कपूर ने कहा है कि भारत को किसी के परमाणु हमले का इंतजार नहीं करना चाहिए और पड़ोस में बदली परिस्थितियों को देखते हुए उसे पहले परमाणु हमला नहीं करने की अपनी नीति पर नए सिरे से विचार करना चाहिए।
पाकिस्तान में नाभिकीय हथियारों का जखीरा बढ़ाए जाने की खबरों के आने के बाद थल सेनाध्यक्ष ने जो बयान दिया है उससे संकेत मिलते हैं कि भारत की प्रतिरक्षा तैयारियां, विश्वसनीय और निर्णायक प्रहारक क्षमता होने के बावजूद कहीं न कहीं देश के राजनीतिक नेतृत्व में निर्णय लेने में संकोच या कमजोरी है। भारत की परमाणु बम का इस्तेमाल न करने और पहले हमला न करने की नीति का भारत विरोधी देशों ने कोई और ही अर्थ लगाया हुआ है और इस नीति को भारत की कोई कमजोरी समझा है इसलिए आये दिन चारों ओर से भारतीय सीमाओं में बलात घुसपैठ की कोशिशें हो रही हैं।
थल सेनाध्यक्ष की परमाणु हमले के बयान से भारत की परमाणु तैयारियों पर एक नई बहस शुरू हो गई है। मालूम हो कि अमेरिका के दो वैज्ञानिकों ने पिछले दिनों एक खुलासे में दावा किया था कि पाकिस्तान के पास लगभग सौ परमाणु मिसाइल हैं। इस खुलासे के बाद से ही रणनीतिक क्षेत्रों में खलबली मची हुई है।
जनरल कपूर ने संकेत दिया कि बदली परिस्थितियों में भारत सरकार को पहले परमाणु हमला करने की नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। भारत के पड़ोस में पाकिस्तान के अलावा चीन दूसरा ऐसा देश है जिसके पास परमाणु हमला करने की क्षमता है। इसके अलावा एशिया में उत्तर कोरिया और अब ईरान भी अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाकर भारत की रणनीतिक तैयारियों को बदलने को मजबूर कर रहे हैं। इन परिस्थितियों में समझा जा रहा है कि जनरल कपूर के बयान के बाद भारत सरकार आणविक नीति पर फिर से विचार कर सकती है।