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लखनऊ। वर्तमान में विकासशील सभ्यता से दूर होती जा रही पर्यावरण को यदि नहीं सहेजा गया तो परिणाम और भी भयंकर होगा। पर्यावरण संरक्षण का तात्पर्य वन को जन के लिए बचाने से है, क्योंकि वन ही एक ऐसा धन है जिससे हम पर्यावरण को बचा सकते हैं। ये बातें संकल्प आश्रम में 'फाउण्डेशन फार सोशल वेलफेयर' की संगोष्ठी 'वन सबसे बड़ा धन' में मुख्य अतिथि समाज सेवी जितेन्द्र कुमार ने कहीं। उन्होंने कहा कि वन से न केवल पर्यावरण संरक्षित होता है बल्कि हमारे समाज की अधिकतम जरूरतें भी पूरी होती हैं।
संस्था के सचिव गोरखनाथ ने कहा कि वर्तमान परिवर्तनशील समय में जिस तरह से पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है उसे रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने की आवश्यकता है और यह जिम्मेदारी नई पीढ़ी पर है। वर्तमान समय में जिस प्रकार लोगों को विभिन्न प्रकार के रोगों से लड़ना पड़ रहा है यह सभी वनों की अवैध कटाई का ही परिणाम है।
कार्यक्रम के संयोजक अमित सिंह ने कहा कि 'वन बचाने तथा वन लगाने' से हमारी आने वाली पीढ़ी न केवल सुखमय जीवन व्यतीत कर सकती है। संगोष्ठी में दिनेश प्रसाद श्रीवास्तव, सीमा रानी, अजीत टुटेजा, एनएस चौहान, वीरेंद्र कुमार शर्मा, राजेश प्रजापति ने अपने विचार व्यक्त किए। इस मौके पर समाज के अनेक गणमान्य व्यक्ति और समाजसेवी उपस्थित थें।