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नई दिल्ली।ग्रीनपीस के वालेंटियर्स ने उपभोक्ताओं के जीएम खाद्यान्न के विरोध का संदेश देते हुए नेस्ले इंडिया से मांग की है कि वह आज और भविष्य में जीएम मुक्त खाद्यान्न की नीति अपनाए। गुड़गांव स्थित नेस्ले इंडिया के हैड क्वार्टर पर ग्रीनपीस के एक्टिविस्टों ने बैनर टांगा। बैनर पर लिखा था- नेस्ले, सदा के लिए जीएम मुक्त ग्रीनपीस के वालेंटियर्स मैगी, सेरेलाक, किटकैट आदि नेस्ले के प्रमुख उत्पादों जैसे कपड़े पहनकर नेस्ले के आफिस में गये और वहां मौजूद अधिकारियों से पूछा कि क्या वह भविष्य में जीएम मुक्त नीति अपनायेंगे?
ग्रीनपीस इंडिया ने अगस्त 2009 में उपभोक्ताओं के लिए एक ऐसी गाइड जारी की हुई है जिसमें भारतीय नामी गिरामी ब्रांडों के खाद्य उत्पादों को जेनेटिक्ली माडीफाइड (जीएम) खाद्यान्न के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। इसमें नेस्ले को लाल सूची में रखा गया क्योंकि वह जीएम खाद्यान्न के उपयोग की पक्षधर है। इसके ठीक बाद साइबर एक्टिविस्टों के दबाव में आकर नेस्ले ने ग्रीनपीस के सवालों का जवाब देते हुए यह कहा कि वर्तमान समय में उनके उत्पादों में किसी तरह का कोई जीएम तत्व मौजूद नहीं है क्योंकि भारतीय कानून व्यवस्था के तहत इनका उपयोग वर्जित है। नेस्ले ने भविष्य में अपनायी जाने वाली नीति ने बारे में कुछ कहे जाने से यह कहते हुए इंकार किया कि यह दूर की बात है।
एक आनलाइन पोल में 40000 में से 98 प्रतिशत लोगों ने कहा कि भविष्य में यदि उपलब्ध हुआ तो भी वह जीएम खाद्यान्न का इस्तेमाल नहीं करेंगे। अनेक ऐसी कंपनिया जिन्होंने पहले जीएम खाद्यान्न के उपयोग के बारे में चुप्पी साध रखी थी, वह भी अब आगे आकर जनता को यह विश्वास दिला रही हैं कि वह भविष्य में अपने उत्पादों को जीएम मुक्त रखेंगी। इनमें एमटीआर फूडस, ब्रिटानिया, रुचि सोया आदि ने यह घोषण की है कि वह जीएम खाद्यान्न की पक्षधर नहीं हैं।
सितम्बर 2009 में चीन के बाजारों में बच्चों के लिए बिक रहे नेस्ले के खाद्य पदार्थो की जांच में जीएम तत्वों का प्रदूषण मिला। ऐसे में भारतीय उपभोक्ता नेस्ले की बात से संतुष्ट नहीं हैं। ग्रीनपीस के एक्टिविस्ट जयकृष्णा ने कहा कि नेस्ले इंडिया को ऐसी नीति अपनानी चाहिए कि उसके उत्पाद वर्तमान ही नहीं भविष्य में भी जीएम प्रदूषण से मुक्त रहें। जयकृष्णा ने कहा कि नेस्ले इंडिया के प्रमुख एनटोनियो वसजइक के सामने केवल अपनी कंपनी का मुनाफा ही नहीं बल्कि एक बहुत बड़ी चुनौती है, उपभोक्ता इनकी ओर देख रहे हैं और वह यह जानना चाहते हैं कि क्या नेस्ले भविष्य में जीएम मुक्त रहेगी?
ग्रीनपीस इंडिया ने अगस्त 2009 में जारी सुरक्षित खाद्यान्न गाइड में 17 भारतीय कंपनियों के पैकेज खाद्य उत्पादों को जेनेटिक्ली माडीफाइड (जीएम) तत्वों के उपयोग अथवा अनुपयोग के आधार पर हरी व लाल सूची में बांटा था। यह गाइड उस समय जारी की जा रही है जब सरकार बीटी बैंगन को हरी झंडी देने की कगार पर है। एक बार बीटी बैंगन को मंजूरी मिल जाने के बाद देश में धान, टमाटर, सरसों, आलू आदि की 40 जीएम फसलें ऐसी हैं जिन्हें उत्पादन एवं बिक्री के लिए मंजूरी मिलने की संभावना है।