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लंदन। ग्रीनपीस इंडिया के कार्यकर्ता ब्रिकेश सिंह ने ब्रिटिश हाऊस आफ पार्लियामेंट की छत से भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश, फारूक अब्दुल्ला और श्यामसरण को खत भेजकर उनसे देश में जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए उचित कदम उठाने की अपील की। ब्रिकेश ने कहा कि हम यहां इसलिए चढ़े हैं कि क्योंकि ब्रिटिश सरकार द्वारा उठाये गये कदम भारत और उसकी जनता के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। जब तक विकसित देश अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए अपने उत्सर्जन स्तर में कटौती नहीं करते तब तक विकासशील देश भी इस प्रक्रिया के सही मायने में भागीदार नहीं बनेंगे। जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारण औद्योगिक देश हैं ऐसे में इनको अब इसे रोकने के लिए भी नेतृत्व करना चाहिए।
गौरतलब है कि ग्रीनपीस के 51 कार्यकर्ता जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने में सक्षम राजनीति की मांग को लेकर ब्रिटिश हाऊस आफ पार्लियामेंट की ऐतिहासिक दीवार पर चढ़े थे। इनमें से 24 रात आठ बजे नीचे उतर आए पर 31 अब निचली छत पर हैं। उन्होंने ग्रेट हाल की छत पर एक बड़ा सा बैनर टांग रखा है जिसपर लिखा है ?राजनीति में बदलाव लाओ, जलवायु बचाओ।? उन्होंने इसके लिए 12 सरल उपाय सुझाये हैं जिनसे यूके अपने कार्बन उत्सर्जन में कमी ला सकता है और विकासशील देशों को हरित स्वच्छ तकनीक अपनाने में मदद कर सकता है।
मूलरूप से बलिया निवासी और मुंबई में पले बढ़े ग्रीनपीस इंडिया के ब्रिकेश ने कहा कि मैने भारत में कोयला चलित पावर स्टेशनों को रोकने के लिए अनेक बार अंदोलन किया है पर अब ग्लोबल एक्शन समय की मांग है। यदि यूके सरकार पूरी दुनिया के लिए इस दिशा में एक उदाहरण कायम करते हुए आगे आती है तो कोपहेगन में होने वाले अन्तरराष्ट्रीय समझौते के लिए नए आयाम निकलेंगे और गतिरोध दूर होगा।
ज्ञात हो कि अगले 55 दिन में कोपेहेगन में पर्यावरण समझौता होने जा रहा है। इससे पूर्व इस विषय पर आयोजित संयुक्त राष्ट्र की पिछली बैठक में चीन सहित 130 विकासशील देशों ने यह आरोप लगाया कि अमीर देश जिनमें यूके भी शामिल है, इस विषय में कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। ब्रिटिश सरकार की जलवायु परिवर्तन के लिए गठित कमेटी ने कोपेहेगन सम्मेलन के ठीक दो माह पहले ब्रिटेन से अपने उत्सर्जन में कटौती करने का सुझाव दिया है। ऐसे में ग्रीनपीस के एक्टविस्ट जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए उत्सर्जन में कटौती पर सहमति जताने के लिए हस्ताक्षर करने की नेताओं से मांग कर रहे हैं।