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जन्मजात व्याधियों पर पर्यावरण का प्रभाव

सीएसआईआर-एनबीआरआई में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस

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राष्ट्रीय विज्ञान दिवस/national science day

लखनऊ। सीएसआईआर-एनबीआरआई ने मंगलवार को संस्थान के प्रेक्षागृह में विज्ञान दिवस का आयोजन किया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ सीएस नौटियाल ने अतिथियों का स्वागत किया और अपने अनुभाग से उपार्जित एक प्रौद्योगिकी के बारे में विवरण प्रस्तुत किया। इस प्रौद्योगिकी को सीएसआईआर-800 कार्यक्रम के अंतर्गत विकसित किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य आम जन-जीवन को सुखी एवं उज्जवल बनाना है। कार्यक्रम के अंतर्गत सीएसआईआर ने 800 मिलियन लोगों के जीवन को सुधारने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
डॉ सीएस नौटियाल एवं उनके समूह की विकसित यह प्रौद्योगिकी उन किसानों के चेहरों पर खुशी लाएगी जो अत्यंत गरीब हैं और कम साधनों के कारण अपनी कृषि में उर्वरकों का भी प्रयोग नहीं कर पाते। पूर्व वर्षों में डॉ नौटियाल की अन्य प्रौद्योगिकियों से कृषकों ने लगभग 13000 टन यूरिया एवं 29000 टन फास्फेटिक उर्वरकों की बचत की थी। डॉ नौटियाल की यह प्रौद्योगिकी जो वे उत्तर प्रदेश सरकार को स्थानान्तरित कर रहे हैं, का मुख्य लक्ष्य अधिक से अधिक फास्फेट उर्वरकों की बचत का है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से डॉ मुकेश गौतम, निदेशक, कृषि विभाग से यह प्रौद्योगिकी प्राप्त की गई और उन्होंने अपने अभिभाषण में संस्थान के अनंत प्रयासों से आम कृषकों के जीवन को सुधारने की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
डॉ मुकेश गौतम और उनके सहयोगी कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ श्रीवास्तव ने यह विश्वास दिलाया कि यह प्रौद्योगिकी तीन से चार महीनों के अंदर औद्योगिक स्तर पर आ जाएगी और कृषकों को इसके उर्पाजित जैव उर्वरक सस्ते दामों में उपलब्ध हो सकेगा। प्रौद्योगिकी स्थानान्तरण के पश्चात डॉ सीएस नौटियाल ने मुख्य अतिथि छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ उपकुलपति डॉ डीके गुप्ता का संक्षिप्त परिचय दिया। डॉ गुप्ता ने बहुत ही सार-गर्भित व्याख्यान जन्मजात व्याधियों के विषय में प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया भारत में 121 करोड़ लोगों में से लगभग 74 करोड़ लोग ऐसे हैं जो 0-18 वर्ष की आयु के हैं, आकड़े के अनुसार इनमें से लगभग 2 प्रतिशत बच्चे जन्मजात बीमारियों के शिकार होते हैं और इन बीमारियों में से एक प्रतिशत बीमारी बहुत ही जटिल होती है और इनमें से लगभग आधे बच्चे मृत्यु का ग्रास बन जाते हैं। इन जन्मजात बीमारियों के कारणों का कोई पता नहीं है। एक अनुमान के अनुसार जो कारणों से हो सकते हैं वे हैं-जीवन शैली में परिवर्तन, पर्यावरण, उर्वरकों का प्रयोग, कीट नाशकों का प्रभाव और विकिरण आदि।
उन्होंने कहा कि देश में प्रतिवर्ष 45000 नए जन्म लेने वाले बच्चे कैंसर का शिकार हो जाते हैं। कुल बजट का मात्र 2.25 प्रतिशत ही स्वास्थ्य पर खर्च होता है और स्वास्थ्य की विभिन्न आवश्यकताएं 80 प्रतिशत तक निजी अस्पतालों से ही पूरी होती है, हमें अत्यंत जागरुक होना पड़ेगा कि हम अपने स्वास्थ्य के प्रति सहग रहें। उन्होंने प्लास्टिक से होने वाले दुष्प्रभावों का विस्तृत आकंलन भी प्रस्तुत किया। उन्होंने जन्मजात बीमारियों के विभिन्न उदारहण भी प्रस्तुत किए जो रोचक एवं ज्ञानवर्धक थे। निदेशक डॉ सीएस नौटियाल ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किए और डॉ एसकेएस राठौर ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ जेके जौहरी ने किया।

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