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बार्सीलोना। केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि भारत का दूरसंचार क्षेत्र इस समय जिस संकट का सामना कर रहा है, वह साथ ही उसके लिए अवसर का एक क्षण है, क्योंकि सरकार इस उद्योग को स्पष्टता और नियामक स्थिरता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। बार्सीलोना, स्पेन में चल रहे दूरसंचार क्षेत्र जीएसएमए लीडरशिप शिखर सम्मेलन 2012 में सिब्बल ने कहा कि राष्ट्रीय दूरसंचार नीति, राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी नीति और निर्माण नीति जैसे दीर्घकालिक उपायों से दूरसंचार क्षेत्र को अनिश्चितताओं से बाहर निकालकर लंबे समय के निवेश का मार्ग प्रशस्त होगा।
उन्होंने कहा कि भारत स्पेक्ट्रम से अलग, तटस्थ यूनीफाइड लाइसेंस टेक्नोलॉजी की तरफ बढ़ने की योजना बना रहा है, ताकि कनवर्जेंस के फायदे लिए जा सके। कपिल सिब्बल ने कहा कि भारत का लक्ष्य एक राष्ट्र–एक लाइसेंस, मोबाइल नंबर पोर्टिबिलिटी, मुफ्त रोमिंग का है। इसके साथ ही एक संस्था आवंटित स्पेक्ट्रम का अधिकतम 25 प्रतिशत रख सकती है। उन्होंने बताया कि नियमों को उदार बनाते हुए दो कंपनियों के बीच एम और ए की इजाजत दी गई है और ए बाजार की हिस्सेदारी का 35 प्रतिशत नियंत्रित कर सकती है, जो अलग-अलग मामलों में बाज़ार हिस्सेदारी का 60 प्रतिशत तक जा सकता है।
कपिल सिब्बल ने कहा कि सभी प्रमुख साझेदारों-उद्योग, नियामक और राजनीतिक वर्ग-को उपभोक्ताओं के फायदे के लिए मिलकर काम करना चाहिए और ग़रीबों को समर्थ बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यवसाय भारत के 14 वर्ष तक की उम्र के उन 40 करोड़ युवाओं की अनदेखी नहीं कर सकता, जिन्होंने आईसीटी के युग में जन्म लिया है और उसमें बड़े हुए हैं, यह संख्या अमरीका या यूरोप की आबादी से ज्यादा है। सिब्बल ने कहा कि भारत 800 विश्वविद्यालयों और 24000 कॉलेजों में ऑप्टिकल फाइबर केबल के जरिए युवकों को सशक्त बनाने के लिए नेटवर्किंग कर चुका है।