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नई दिल्ली। भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक ने 100 मिलियन अमरीकी डॉलर एडीबी ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य गुजरात में चरंका सौर पार्क से 500 मेगावाट विद्युत वितरण के लिए एक पारेषण प्रणाली विकसित करना है। सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल का इस्तेमाल करते हुए इस योजना के जरिए रोजगार सृजन के अवसर प्राप्त होंगे साथ ही सामाजिक सेवा में सुधार होने से स्थानीय स्तर पर निर्धनता में भी कमी आएगी।
पीपीपी मॉडल के तहत सरकार ने सौर पार्क में परियोजना लगाने का विकल्प देते हुए सौर ऊर्जा के संबंध में विकासकों के लिए एक आकर्षक फिड इन टेरिफ की शुरूआत की है। राज्य सरकार की एजेंसियां भूमि को पट्टे पर लेकर आम बुनियादी सुविधाएं और सेवाएं मुहैया कराती हैं, जिसमें स्थल निर्माण, पारेषण वितरण, सुलभ सड़कें, जल एवं अन्य सेवाएं शामिल हैं, ताकि विकासक परियोजना के निर्माण में समय और लागत खर्च का ध्यान रख सके। भारत सरकार वर्ष 2022 तक 20 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इस उद्देश्य से वर्ष 2010 में जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन (जेएनएनएसएम) की शुरूआत की गई है, जिससे ग्रिड कनेक्टेड सौर ऊर्जा उत्पादन की सहायता से 2013 तक एक हजार मेगावाट उत्पादन की संभावना है।
इस समझौते पत्र पर भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग में संयुक्त सचिव (प्रशासन एवं द्विपक्षीय सहयोग) प्रबोध सक्सेना एवं भारत में एडीबी के निदेशक हुन किम ने हस्ताक्षर किए। गुजरात सरकार की ओर से गुजरात विद्युत पारेषण निगम के प्रबंध निदेशक एसके नेगी ने पत्र पर हस्ताक्षर किए। प्रबोध सक्सेना ने कहा कि विद्युत की बढ़ती मांग और जीवाश्म ईंधन के स्रोतों पर बढ़ती निर्भरता को देखते हुए भारत सौर ऊर्जा के वृहत क्षमता के प्रभावी दोहन की संभावना है। यह परियोजना न केवल गुजरात को ही लाभान्वित करेगी बल्कि जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन के तहत पीपीपी मॉडल के तर्ज पर सौर पार्क के विकास में भी मदद करेगी।
हुन किम ने कहा कि एडीबी अपने एशिया सौर ऊर्जा पहल के तहत 2013 तक 3000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए प्रतिबद्ध है और हमें विश्वास है कि इस लक्ष्य को हासिल करने में भारत अहम भूमिका निभाएगा। इसके अतिरिक्त एडीबी की संचालित ब्रिटेन के अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग से निधिबद्ध संयुक्त तकनीकी सहायता (टीए) के स्थानीय लोगों को जीवन यापन के अवसर प्रदान करने के लिए ऊर्जा से संबंधित कौशल प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। यह एडीबी के सामान्य पूंजीगत संसाधनों का लिबोर (एलआईबीओआर) आधारित ऋण है जिसकी अवधि 25 वर्ष है और इसमें पांच वर्षों की छूट सीमा भी शामिल है।