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लखनऊ। समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया है कि विधान सभा के उपचुनावों में छलबल से जीतने के बाद बसपा सरकार ने मतदाताओं के प्रति गैर जिम्मेदाराना रूख अपना लिया है। सरकार के इरादे बिजली की दरों में वृद्धि करने के हैं ताकि वह राजकोष के भयंकर दुरूपयोग की भरपाई कर सके। उसके निशाने पर किसान, लघु उद्यमी और सामान्य नागरिक हैं जो इस मंहगाई और मंदी के दौर में किसी प्रकार अपनी जिंदगी के दिन काट रहे हैं। सपा ने कहा है कि वह मंहगाई से त्रस्त जनता पर और ज्यादा भार लादने के किसी भी प्रयास का विरोध करेगी। सरकार की अकर्मण्यता को छुपाने के लिए जनता को बलि का बकरा नहीं बनने दिया जाएगा।
चुनाव से पहले ही पावर कारपोरेशन ने विद्युत दरें बढ़ाने का प्रस्ताव किया था पर उपचुनाव के मद्देनजर तब सरकार ने उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था। जब वोट हासिल हो गए तब उपभोक्ताओं के सिर पर और आर्थिक चोट की जाने वाली है। राज्य के विद्युत नियामक आयोग ने बिजली की दरों में 20 से 25 फीसदी बढ़ोत्तरी की बात मान ली तो गरीबों के घर बिजली करेंट की तरह लगेगी। बिजली की दरों में फिक्सचार्ज भी बढ़ेगा और यूनिट दर भी बढ़ेगी। उद्योग क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहेगा। किसानों को खाद बीज के साथ सिंचाई के लिए पानी नहरों के अलावा नलकूपों से ही मिलता है, लेकिन इनकी भरपूर क्षमता का उपयोग इसलिए नहीं हो पाता क्योंकि बिजली संकट बना रहता है। इस समय प्रदेश में लगभग 7 हजार नलकूप बन्द हैं।
सपा के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि यह विडंबना है कि लाखों रूपए खर्च कर मुम्बई के पंचतारा होटल में उद्योगपतियों को निवेश का निमंत्रण दिया जाता है और अपने प्रदेश में बिजली के अभाव में बड़े उद्योग तो क्या छोटे और कुटीर उद्योग भी नहीं चल पा रहे हैं। खेती किसानी चौपट है। मुख्यमंत्री मायावती प्रदेश की प्रगति को भी अपनी लूट, वसूली और कब्जों की नीति का हिस्सा बनाने का खेल खेल रही हैं।
मुलायम सिंह यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में कृषि और उद्योग के क्षेत्र में कई क्रांतिकारी कदम उठाए थे। बिजली, पानी, सड़क पर विशेष ध्यान दिया था। गांवों में 14 घंटे बिजली दी थी। लेकिन मायावती सरकार ने विकास ठप्प कर दिया और पार्क, पत्थर और अपनी प्रतिमाएं लगाने को ही प्राथमिकता दी है।