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लखनऊ। मुख्यमंत्री मायावती ने सभी विभागों के अनुत्पादक खर्चों में कटौती के सख्त निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री मायावती कह रही हैं कि छठे वेतन आयोग की संस्तुतियों को लागू करने से बढे़ वेतन और पेंशन के एरियर भुगतान से राज्य पर भारी वित्तीय बोझ बढ़ा है। विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों, प्राधिकरणों और अन्य राज्याधीन स्वायत्तशासी संस्थाओं से कहा गया है कि वे नए अतिथि गृह न खोलें। मुख्यमंत्री ने राजकीय भोज, पांच सितारा होटल में आयोजित न करने के भी निर्देश दिए। नववर्ष या अन्य अवसरों पर शासकीय व्यय पर बधाई संदेश, कलेंडर, डायरी का भी वितरण न किए जाने के आदेश भी दिए गए हैं।
मायावती ने सभी विभागों को अनुत्पादक खर्चों में कटौती और हर स्तर पर वित्तीय अनुशासन सख्ती से लागू करने के निर्देश देते हुए तर्क दिया कि पिछले 62 वर्षों से उपेक्षित गरीबों, दलितों, बालिकाओं, झोपड़-पट्टियों में रहने वाले लोगों के लिए वर्तमान सरकार सीमित संसाधनों से कई जनहितकारी कार्यक्रम चला रही है और ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में आवश्यक संसाधनों के विकास के लिए अनेक परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं। छठे वेतन आयोग की संस्तुतियों को भी लागू करने का निर्णय लिया गया, जिससे बढे़ वेतन और पेंशन के एरियर के भुगतान के कारण राज्य सरकार पर भारी वित्तीय बोझ का दबाव बढ़ा है। मुख्यमंत्री ने मंत्रिपरिषदीय सदस्यों को भी शासकीय खर्चों में मितव्ययता बरतने के उद्देश्य से उनके निर्देशों को अपने विभागों में कड़ाई से पालन कराने को कहा।
'नव-सृजित मंडल-जनपद को छोड़कर उनके मुख्यालयों पर नये कार्यालय-आवासीय भवन निर्मित न किए जाएं, सुरक्षा संबंधी आवश्यकताओं को छोड़कर नए वाहन क्रय नहीं किए जाएं और वर्तमान में उपलब्ध वाहनों की संख्या में पांच प्रतिशत की कमी लाई जाए, ऐसे प्रशिक्षण को छोड़कर जो अनिवार्य हों अन्य प्रशिक्षण कोर्सेस एवं सेमिनारों आदि में अधिकारियों और कर्मचारियों को नामित न किया जाए, सरकारी कार्य के लिए की जानी वाली यात्राओं को न्यूनतम रखा जाए और सरकारी दौरों में अधिकारी अपना व्यक्तिगत स्टाफ न ले जाएं, राजकीय भोज पांच सितारा होटल में आयोजित न किए जाएं विशेष परिस्थिति में केवल अपवाद स्वरूप पहले मुख्य सचिव का अनुमोदन लेकर किया जा सकेगा, विभिन्न विभागों के सजावटी विज्ञापन एवं प्रचार यदि वह व्यावसायिक प्रोत्साहन के लिए नहीं है तो तात्कालिक प्रभाव से प्रतिबंधित रहेंगे।'
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने मुख्यमंत्री के इन निर्देशों के परिप्रेक्ष्य में कहा है कि वर्ष 2007 में वर्तमान सरकार के गठन से पूर्व अन्य दलों की सरकारों की खर्चीली कार्य-प्रणाली के चलते प्रदेश की वित्तीय स्थिति काफी खराब हालत में थी। खराब वित्तीय स्थिति को पटरी पर लाने के लिए प्रदेश सरकार ने गम्भीर प्रयास किए जिससे सरकार की वित्तीय स्थिति में थोड़ा सुधार आया। इसके लिए सरकार ने जहां एक ओर अनुत्पादक खर्चों पर रोक लगाई वहीं राज्य की आय बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए। इनमें मुख्य सचिव को राजस्व में वृद्धि के लिए नियमित रूप से समीक्षा करने के निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री के स्तर से भी इसका गम्भीरता पूर्वक निरन्तर अनुश्रवण किया गया और समय-समय पर आवश्यकतानुसार विभागों को दिशा-निर्देश भी जारी किये गए।
प्रवक्ता ने यह भी बताया कि सीमित संसाधनों के बावजूद पिछले दो वर्षों में सरकार ने उपेक्षित तबकों की भलाई के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएं शुरू कीं। समाज में बालिकाएं सबसे ज्यादा उपेक्षित थीं, गरीबी के कारण उनके अभिभावकों ने उनकी पढ़ाई-लिखाई पर कोई ध्यान नहीं दिया था, सरकार ने इस स्थिति को गम्भीरता से लेते हुए सावित्री बाई फुले बालिका शिक्षा मदद योजना चलाने का निर्णय लिया। इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचन क्षमता में वृद्धि के लिए डॉ भीमराव अम्बेडकर नलकूप योजना और ग्रामों के विकास के लिए डॉ अम्बेडकर ग्राम सभा विकास योजना का संचालन शुरू किया गया। शहरी क्षेत्रों में दयनीय हालत में रह रहे गरीबों को छत मुहैया कराने के लिए सर्वजन हिताय शहरी गरीब आवास मालिकाना हक योजना और गरीबों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना धनराशि खर्च की जा रही है। बड़े शहरों में बढ़ती आबादी को ध्यान में रखकर सरकार ने कई वृहद एवं महत्वाकांक्षी विश्वस्तरीय अवस्थापना विकास की योजनाएं भी शुरू की हैं, जिनके बारे में पिछली सरकारों ने सोचा भी नहीं था।
सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश जनसंख्या एवं क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से बड़ा प्रदेश है। इसकी गरीबी और क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के लिए सरकार ने केन्द्र सरकार से 80 हजार करोड़ रूपए के आर्थिक सहायता पैकेज की मांग की थी जिसके लिए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को कई बार पत्र लिखा और उनसे मिलकर भी अनुरोध किया। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने आज तक राज्य सरकार की अर्थिक मदद के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया। छठे वेतन आयोग के कारण इस वर्ष बढ़े वेतन भुगतान के साथ लगभग 6 हजार करोड़ रूपये का एरियर्स राज्य कर्मचारियों को दिया जा रहा है, जिससे राज्य पर भारी वित्तीय बोझ पड़ रहा है। सरकार पर आये अतिरिक्त वित्तीय बोझ के कारण शासकीय खर्चों में कटौती करने के ये निर्णय लिए गए हैं।