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योजना आयोग से यूपी को 39 हज़ार करोड़ रूपए

मुख्य सचिव ने की और ज्यादा के लिए पेशबंदी

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नई दिल्ली। केंद्रीय योजना आयोग ने उत्तर प्रदेश के लिए वर्ष 2009-10 हेतु 39 हजार करोड़ रूपए की वार्षिक योजना पर सहमति दी है। राज्य के मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता ने योजना आयोग के सामने राज्य के विकास से संबंधित कई मांगें रखते हुए अनुरोध किया कि बुंदेलखंड के विकास के लिए 90 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया जाए, प्रदेश की बिजली की समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार एक मेगा पावर प्रोजेक्ट की स्थापना और नरोरा एटामिक प्लाण्ट के विस्तार पर कार्यवाही करे, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन में विकलांगों और निराश्रित विधवाओं के लिए 2002 की बीपीएल सूची में नाम सम्मिलित होने की शर्त को हटाया जाए और ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के द्वितीय चरण के लिए केंद्र सरकार अधिक से अधिक धनराशि आवंटित करे। मुख्य सचिव ने उन योजनाओं के लिए भी धन अवमुक्त करने का आग्रह किया जो धन की प्रत्याशा में आधी-अधूरी पड़ी हैं।
केंद्रीय
योजना आयोग के सदस्य वीके चतुर्वेदी के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के नेतृत्व में विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय बैठक हुई जिसमें प्रदेश की वार्षिक योजना के आकार पर विस्तृत विचार-विमर्श के बाद 39 हज़ार करोड़ रूपये की वार्षिक योजना पर सहमति व्यक्त की गई। मुख्य सचिव ने राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए बैठक में बताया कि प्रदेश के विकास के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं, इसके बाद भी अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश को भारत सरकार से वित्त पोषित कार्यक्रमों में अपेक्षित अंश उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। उन्होंने आयोग को अवगत कराया कि राज्य सरकार निजी क्षेत्र का सहयोग लेने हेतु विशेष प्रयास कर रही है और दावा किया कि राज्य सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप अब तक 1.17 लाख करोड़ रूपये के विनियोग प्रस्ताव आ चुके हैं।
 योजना आयोग से मुख्य सचिव ने एआईबीपी के अंतर्गत विशेष रूप से बुंदेलखंड क्षेत्र की समस्याओं की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए 90 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराने की अपेक्षा की। इसके साथ ही उन्होंने नये प्रस्तावों को प्राथ‍मिकता के आधार पर स्वीकृत करने का भी प्रस्ताव किया। इस पर योजना आयोग ने आश्वस्त किया कि इन प्रकरणों पर विचार कर उत्तर प्रदेश को भरपूर सहयोग दिया जायेगा। मुख्य सचिव ने योजना आयोग को बताया कि राज्य में कृषि एवं संवर्गीय क्षेत्र के विकास को वरीयता प्रदान की गयी है और इसके परिणाम भी अब परिलक्षित होने लगे हैं। प्रदेश की कृषि की विकास दर 04 प्रतिशत से अधिक है। उन्होंने उत्तर प्रदेश और देश की तुलनात्मक विकास दर की चर्चा करते हुए कहा कि वर्ष 2007-08 में देश की विकास दर 09 प्रतिशत थी जो वर्ष 2008-09 में 6.7 प्रतिशत पर आ गयी। जबकि उत्तर प्रदेश की विकास दर 7.2 प्रतिशत से घटकर 6.5 प्रतिशत पर रही। इस प्रकार देश की विकास दर के मुकाबले उत्तर प्रदेश की विकास दर में अपेक्षाकृत कम गिरावट आयी है।
मुख्य सचिव
ने बताया कि नरेगा योजना में राज्य सरकार ने अच्छा काम किया है, जिसे योजना आयोग ने स्वीकार करते हुए दो किस्तों में धनराशि अवमुक्त करने और भुगतान की व्यवस्था हेतु एक निश्चित अनुपात में अतिरिक्त धनराशि देने के प्रस्ताव पर सहमति दी। इसी तरह प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में लगभग 3900 किलोमीटर सड़कों का निर्माण कराया जा चुका है। एक हजार से अधिक जनसंख्या वाले सभी मजरों को सड़कों से जोड़ दिया गया है और पांच सौ से अधिक जनसंख्या वाले मजरों के लिए लगभग छः हजार करोड़ रूपये के प्रस्ताव केन्द्र को प्रस्तुत किये गये हैं। उन्होंने बताया कि योजना आयोग ने इन प्रस्तावों को स्वीकृत करने में सहयोग का आश्वासन दिया है। मुख्य सचिव ने बताया कि उत्तर प्रदेश में साक्षरता के मामले में देश के औसत से कहीं ज्यादा लोग साक्षर हुए हैं। इसकी पुष्टि एनसीईआरटी के सर्वे से हुई है।
बैठक
में जेएनएनयूआरएम में राज्य की परियोजनाओं की समय से स्वीकृति न दिये जाने का बिन्दु उठाते हुए मुख्य सचिव ने राज्य को स्वीकृत परियोजनाओं के लिए देय धनराशि अवमुक्त किये जाने पर बल दिया और 2800 करोड़ रूपये की धनराशि उपलब्ध कराने की अपेक्षा की। इसी प्रकार एआईबीपी में 2300 करोड़ रूपये, बीआरजीएफ में 1200 करोड़ रूपये, एनएसएपी में 1200 करोड़ रूपये, आरकेवीवाई में 600 करोड़ रूपये, सीआरएफ में सड़कों के लिए 300 करोड़ रूपये की मांग रखते हुए 8000 करोड़ रूपये का अनुदान स्वीकृत किये जाने का योजना आयोग से अनुरोध किया। मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता ने योजना आयोग की बैठक में स्पष्ट किया कि इन सभी कार्यक्रमों में मांगी गयी धनराशि औचित्यपूर्ण है और अन्य राज्यों को इससे कहीं अधिक धनराशि का आवंटन किया गया है। इस पर योजना आयोग ने आश्वासन दिया कि विभिन्न मंत्रालयों से विचार-विमर्श करके उत्तर प्रदेश को अधिक से अधिक संसाधन उपलब्ध कराने के प्रयास किये जाएंगे। मुख्य सचिव ने प्रदेश के विकास के लिए विभिन्न मुद्दों को उठाते हुए योजना आयोग से विभिन्न मंत्रालयों से सहयोग करने की व्यवस्था करने की मांग भी रखी। इस पर योजना आयोग ने अपेक्षित सहयोग दिये जाने का आश्वासन दिया। मुख्य सचिव ने ज़ोर देकर कहा कि उत्तर प्रदेश के विकास के बिना देश का विकास एक सपना ही साबित होगा।
बुंदेलखंड क्षेत्र की 21 परियोजनाओं को मुख्य सचिव ने एआईबीपी के अन्तर्गत लिये जाने का प्रस्ताव किया और बताया कि प्रदेश की सिंचाई सुविधा में वृद्धि हेतु उत्तर प्रदेश की दो परियोजनाओं को राष्ट्रीय प्रोजेक्ट के रूप में वित्त पोषित करने का प्रस्ताव भारत सरकार में अभी भी लम्बित है। उन्होंने यह भी बताया कि इलाहाबाद में कुम्भ और अर्धकुम्भ का आयोजन किया जाता है और प्रतिवर्ष माघ मेले का भी आयोजन होता है इसलिए इस धार्मिक शहर में अवस्थापना सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिए अतिरिक्त धनराशि दी जाये जैसे कि योजना आयोग ने उत्तराखण्ड राज्य को वर्ष 2010 में कुम्भ मेले के आयोजन के लिए अनुदान के रूप में स्वीकृत की थी। जेएनएनयूआरएम केयूआईजी कम्पोनेंट के अन्तर्गत सात शहरों में नगरीय परिवहन हेतु बसों के खरीदने की व्यवस्था की गयी है, उन्होंने मांग की कि दूसरे बड़े शहरों अर्थात् कम से कम पांच लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों में इसके लिए यूआईडीएसएसएमटी योजना के अन्तर्गत धनराशि उपलब्ध करायी जाये। प्रदेश की विद्युत व्यवस्था में सुधार के लिए राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि प्रदेश में कम से कम एक मेगा पावर प्रोजेक्ट स्थापित किये जाने के साथ ही नरोरा एटॉमिक प्लाण्ट के विस्तार हेतु केन्द्र सरकार कार्रवाई करे। इसके साथ ही बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए केन्द्र सरकार एक विद्युत परियोजना लगाए और प्रदेश में लगाये जाने वाले नये पावर प्लाण्ट्स हेतु कोल लिंकजेज के आवंटन की भी व्यवस्था की जाये। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के दूसरे चरण के लिए केन्द्र धनराशि का आवंटन नहीं कर रहा है, जबकि प्रदेश में बड़ी संख्या में अभी भी मजरों का विद्युतीकरण किया जाना है।
मुख्य
सचिव ने बैठक में कृषि क्षेत्र में विनियोजन बढ़ाने के लिए ऋण की ब्याज दरों में कमी करने और चार प्रतिशत या उससे कम ब्याज दरों पर फसल ऋण की व्यवस्था करने का प्रस्ताव किया। इसके साथ ही उन्होंने बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास हेतु डॉ सामरा कमेटी की 3866 करोड़ रूपये की सहायता देने की संस्तुति के अनुरूप सहायता देने की व्यवस्था की जाये। केन्द्र पुरोनिधानित योजनाओं के अन्तर्गत अधिकतम दो किस्तों में धनराशि अवमुक्त करने की व्यवस्था भी की जानी चाहिए, क्योंकि जिन कार्यक्रमों में दो किस्तों से अधिक किस्तों में धनराशि अवमुक्त की जाती है, उसमें अनावश्यक विलम्ब होता है। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष के अंतिम तीन महीनों में विशेष रूप से मार्च महीने में अवमुक्त की जाने वाली धनराशि का उपयोग 31 मार्च तक संभव नहीं हो पाता, इसके अलावा अनेक कार्यक्रमों में इस प्रकार अप्रयुक्त धनराशि को अगले वर्ष के आवंटन में समायोजित कर लिया जाता है। इसलिए धनराशि के उपयोग हेतु कम से कम छः माह का समय दिया जाये और अगले वर्ष के आवंटन में उसका समायोजन न किया जाए।
मिड-डे-मील
योजना के तहत कन्वर्जन कास्ट के रूप में केंद्र सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों के लिए 1.58 रूपये और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए 2.10 रूपये प्रति छात्र प्रतिदिन निर्धारित किया गया है, बढ़ती महंगाई को देखते हुए इस निर्धारित कन्वर्जन कास्ट को संशोधित किये जाने की आवश्यकता है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्रदेश पर 4131 करोड़ रूपये का अनावर्तक और 14570 करोड़ रूपये का प्रतिवर्ष आवर्तक व्यय भार पड़ेगा, जिसे केंद्र को वहन करना चाहिए। दशमोत्तर छात्र योजना में शत-प्रतिशत आच्छादन की वचनबद्धता केंद्र सरकार की है, लेकिन इस मद में भी आंशिक धनराशि ही राज्य को अवमुक्त की जा रही है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के अन्तर्गत 65 वर्ष से अधिक आयु वाले व्यक्तियों को पेंशन अनुमन्य है। राज्य सरकार ने 60 वर्ष से अधिक आयु वाले पात्र व्यक्तियों को पेंशन की सुविधा दी है। इसलिए इस योजना में 60 वर्ष की आयु के पात्र व्यक्तियों को पेंशन की सुविधा अनुमन्य की जाए।
उल्लेखनीय है कि सरकारी कर्मचारियों के लिए 60 वर्ष की आयु सेवानिवृत्ति के लिए रखी गयी है और भारत सरकार के रेलवे आदि में भी सीनियर सिटिजन का लाभ 60 वर्ष की आयु में प्राप्त होता है, मगर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन में विकलांगजनों और निराश्रित विधवाओं के लिए 2002 की बीपीएल सूची में नाम सम्मिलित होने की शर्त रखी गयी है। उन्होंने प्रस्ताव किया कि इस सूची में नाम सम्मिलित होने की शर्त को हटा लिया जाये। योजना आयोग के साथ इस बैठकमें उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता के अलावा राज्य के कृषि उत्पादन आयुक्त वीके शर्मा, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त अनूप मिश्रा, प्रमुख सचिव नियोजन जेएन चेम्बर, प्रमुख सचिव वित्त मंजीत सिंह, प्रमुख सचिव स्वास्थ्य प्रदीप शुक्ला, प्रमुख सचिव कृषि रोहित नंदन सहित और भी वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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