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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी करके स्पष्ट कर दिया है कि मुख्य सचिव ही राज्य सरकार के शासकीय प्रधान होंगे। वे समग्र रूप से सचिवालय के काम पर नियंत्रण रखेंगे। वे किसी भी विभाग और उससे जुड़े मामले की रिपोर्ट या सूचना मांग सकते हैं। इस प्रकार से मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता एक बार फिर से अधिकार संपन्न हो गए हैं। आदेश में कहा गया है कि अगर मुख्य सचिव किसी मामले पर कार्रवाई कर रहे हैं और उससे ही संबंधित प्रस्ताव कोई मंत्री यदि मुख्यमंत्री के सामने रखना चाहे तो मुख्यमंत्री के आदेश से पहले मुख्य सचिव को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार होगा अर्थात उन्हें संबंधित फाइल या कागज़ात दिखाने होंगे। मुख्यमंत्री के सचिव नवनीत सहगल की ओर से जारी सूचना में कहा गया है कि ऐसे समस्त नीतिगत और महत्वपूर्ण मामले जो मुख्यमंत्री के निर्णय के लिए प्रस्तुत किए जाने हैं, उन्हें विभागीय मंत्री के मत सहित मुख्य सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री के आदेश के लिए प्रस्तुत किए जाएंगे। इसी तरह उत्तर प्रदेश कार्य नियमावली-1975 में निर्देशित मामले मुख्य सचिव और विभागीय मंत्री के माध्यम से प्रस्तुत किए जाएंगे। इस व्यवस्था की जानकारी सभी अधिकारियों को दे दी गई है।