स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
नई दिल्ली। पर्यावरण और वन राज्य मंत्री जयंती नटराजन ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया है कि एनवायरमैंट कनाडा और यूनिवर्सिटी ऑफ विक्टोरिया से करवाया गया अध्ययन, कम्प्यूटर से तैयार मॉडल पर आधारित है, जिसमें बताया गया है कि उच्चतर अक्षांशों में वृक्ष शीर्ष के परावर्तक गुणों के कारण वनीकरण के लाभ कम हो सकते हैं, तथापि, अध्ययन का यह निष्कर्ष भी था कि उष्णकटिबंध क्षेत्रों में वनों की कटाई से बचना और निरंतर वनीकरण जलवायु परिदृश्य की दृष्टि से प्रभावशाली वन प्रबंधन कार्यनीतियां हैं। ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी से कराए गए अध्ययन का भारतीय स्थिति से कोई सीधा संबंध नहीं है, जहां वनीकरण निश्चित रूप से जलवायु परिवर्तन के न्यूनीकरण हेतु सर्वाधिक प्रभावशाली कार्यनीति है।
उन्होंने बताया कि 30 जून 2008 को जारी की गई जलवायु परिवर्तन संबंधी राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने और भारत के विकास के पथ की परिस्थितिकीय वहनीयता में वृद्धि करने के लिए सौर ऊर्जा, संवर्धित ऊर्जा दक्षता, वहनीय पर्यावास, जल, हिमालयी पारि-प्रणाली को बनाए रखने, हरित भारत, वहनीय कृषि और जलवायु परिवर्तन हेतु कार्यनीतिक ज्ञान के विशिष्ट क्षेत्रों में आठ राष्ट्रीय मिशनों की रूपरेखा तैयार की गई है।