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बैतूल के पत्रकार पंडित सुरेश बाजपेयी नहीं रहे

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पंडित सुरेश बाजपेयी/pandit suresh bajpai

बैतूल। जिले के वरिष्ठ पत्रकार एवं जिला कांग्रेस कमेटी बैतूल के महामंत्री पंडित सुरेश बाजपेयी नहीं रहे। वे 84 के थे। वे अपने पीछे एक पुत्र एवं एक पुत्री को छोड़ गए हैं। कोठी बाजार स्थित मोक्षधाम पर उनके पुत्र पप्पू बाजपेयी ने उन्हे मुखा=ग्नि दी। कुछ दिन पहले वे एक दुर्घटना में घायल हुए थे और उनका ममता श्रीवास्तव हॉस्पिटल से इलाज चल रहा था। उनके निधन से बैतूल के पत्रकारिता जगत का एक अध्याय समाप्त हो गया है। पत्रकारों और समाज एवं राजनीतिक क्षेत्र की अनेक हस्‍तियों ने सुरेश बाजपेयी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
सुरेश बाजपेयी दैनिक नवभारत से 1948 के दौर में पत्रकारिता से जुड़े थे। वे बैतूल जिले के पहले पत्रकार थे, जिन्होंने नवभारत के लिए पत्रकारिता की शुरूआत एक पोस्टकार्ड से की थी। वे कहा करते थे कि पोस्टकार्ड पर भेजी गई ख़बर पूरे एक सप्ताह में छपती थी, लेकिन उस दौर में बैतूल की एक भी ख़बर पूरे समाचार पत्र से महीने भर लोगों को जोड़कर रखती थी। कांग्रेस विचार धारा से जुड़े और स्वतंत्र भारत में सच की लड़ाई लड़ने वाले सुरेश बाजपेयी को हाल ही में ब्राह्मण समाज के सम्मेलन में सम्मानित किया गया। लंबे कद और सफेद पैजामा-कुर्ते के शौकीन सुरेश बाजपेयी दूर से ही पहचाने जाते थे। अपनी पैदल चाल एवं बेबाक लेखनी के लिए वे विख्यात थे। कांग्रेस के जिला महामंत्री वे उस दौर रहे, जब कांग्रेस संगठन को बड़े-बड़े नेताओं का आर्शीवाद प्राप्त था। वे एक सफल, निडर पत्रकार थे। पंडित द्वारका प्रसाद मिश्र के खास समर्थक रहे पंडित बाजपेयी को प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पंडित रविशंकर शुक्ल के दोनो बेटे विद्याचरण शुक्ल एवं श्यामाचरण शुक्ल काफी मान सम्मान देते थे। उन्होंने सभी कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के साथ काम किया।

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