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बंगलूरू। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने बेलगाम स्थित केएलई विश्वविद्यालय में केएलई चेरीटेबल अस्पताल में चिकित्सा, दंत चिकित्सा, फिजियोथरेपी, नर्सिंग, फार्मेसी एवं आयुर्वेद से संबंधित बहुविषयी स्वास्थ्य देख-रेख सुविधा का उद्घाटन किया। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि केएलई 96 वर्ष पुराना विश्वविद्यालय है और यह इस बात का श्रेष्ठ उदाहरण है कि हमारे देश में आधुनिक एवं पारंपरिक प्रणालियां न केवल साथ-साथ चलती हैं, बल्कि फलती-फूलती भी हैं। उन्होंने कहा कि इस सुविधा की शुरूआत हो जाने से छात्रों को संपूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने एवं मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में विश्वविद्यालय की क्षमता में भी वृद्धि होगी।
आजाद ने कहा कि निजी क्षेत्रों को राज्यों के साथ उनके उत्तरदायित्वों में भागीदार बनकर उन्हें न केवल चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराने में ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है, बल्कि जरूरतमंदों को भी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करना है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि पढ़ाने के साथ-साथ गुणात्मक सुधार की सुनिश्चिता का ध्यान रखते हुए निजी क्षेत्र के संस्थाओं को आज के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में कमजोर एवं पिछड़े वर्ग के लोगों को व्यवसायिक/उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए सकारात्मक कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उच्च कोटि का प्रशिक्षण मुहैया कराने एवं पारंपरिक प्रणालियों में क्लीनिकल गुणवत्ता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय, शिक्षा में अधिक गुणवत्ता लाने के लिए ज्यादा प्रभावी कदम उठा रहा है।
गुलाम नबी आजाद ने बताया कि दंत शिक्षा के लिए देशभर में 292 दंत महाविद्यालय हैं, जिसमें बीडीएस के लिए कुल 23,960 सीटें और एमडीएस के लिए 3,418 सीटें हैं। गत दो वर्षों के दौरान पांच नये दंत महाविद्यालयों की स्थापना की गई है, जिसमें बीडीएस की 450 सीटें हैं। वर्ष 2010 से देशभर के विभिन्न संस्थाओं में लगभग 765 एमडीएस की सीटें बढ़ाई गई हैं। बीडीएस पाठ्यक्रम में 4+1 वर्ष की प्रति स्थापित आवश्यक प्रदत इंटर्नशिप की प्रक्रिया को बीडीएस पाठ्यक्रम सत्र 2007-08 से आगे भी जारी रखा गया है। दूर-दराज एवं पिछड़े जिलों में सीएचसी स्तर पर नित्य एवं आपात दंत चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 12वीं पंचवर्षीय योजना में प्रयास किया जा रहा है। स्वास्थ्य शोध में भी उचित ध्यान दिया जा रहा है, देश में चिकित्सा, पैरामेडिकल एवं नर्सिंग शिक्षा में मानव संसाधन की आपूर्ति के लिए मंत्रालय ने कई अहम कदम उठाए हैं।
आजाद ने बताया कि नर्सों एवं एएनएम के कमी को दूर करने के लिए मंत्रालय ने पिछले दो वर्षों में 269 नर्सिंग विद्यालयों की स्वीकृति दी गई है जिनमें से अधिकतर दूर-दराज, दुर्गम एवं अनुपलब्ध जिलों में है। इन संस्थानों के जरिए प्रतिवर्ष 22 हजार अतिरिक्त नर्सें उपलब्ध हो सकेंगी। आजाद ने और ब्यौरा देते हुए बताया कि पैरामेडिकल शिक्षा को बढ़ावा देने और पैरामेडिक्स प्रशिक्षकों की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए दिल्ली में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज (एनआईपीसएस) एवं 8 रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ एक्सीलेंस (आरआईपीएस) की स्थापना की स्वीकृति दी गई है। ये रीजनल इंस्टीटयूट चंडीगढ़, लखनऊ, भोपाल, हैदराबाद, कोयंबटूर, भुवनेश्वर, पटना और औरंगाबाद के लिए स्वीकृत की गई हैं।
आजाद ने बताया कि ‘आयुष’ के विकास संबंधी केंद्र प्रायोजित योजना के तहत बीएम कनकनवाड़ी आयुर्वेद महाविद्यालय को पीजी विभाग के नये ब्लॉक एवं पुस्तकालय के निर्माण के लिए 222.95 लाख रुपये की सहायता राशि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आयुष विभाग ने दी है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत आयुष प्रणाली को मुख्य धारा में लाने पर जोर दिया गया है, ताकि पारंपरिक औषधियां लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।