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नई दिल्ली। केंद्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने कहा है कि इस्पात क्षेत्र के लिए कच्चे माल से संबंधित एक कार्य बल जिसका गठन नवीन राष्ट्रीय इस्पात नीति के लिए किया गया था, उसने अपना प्रारूप प्रतिवेदन सौंप दिया है, जिसमें गैस आधारित इस्पात संयत्र/स्पंज लौह संयत्रों को प्राकृतिक गैस आपूर्ति में कटौती को ध्यान में रखते हुए यह दर्शाया गया है कि उन्हें उंचे दर पर प्राकृतिक गैसों का आयात करना पड़ सकता है जो इन संयत्रों के वित्तीय स्थिति को प्रभावित कर सकता है, साथ ही इस्पात उद्योग में निवेश भी प्रभावित हो सकता है।
इस्पात मंत्री ने सोमवार को लोकसभा में बताया कि इस्पात मंत्रालय मौजूदा गैस आधारित संयत्र/स्पंज लौह संयत्रों को प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में कटौती का मुद्दा पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के ध्यान में लाया गया है और यह आग्रह किया गया है कि गैस आधारित संयत्र/स्पंज लौह संयत्रों को आवश्यक गैस की सतत् आपूर्ति बनाए रखने के लिए कदम उठाए जाएं, ताकि देश के संपूर्ण आर्थिक विकास में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि नई अन्वेषण लाइसेंसिंग नीति (एनईएलपी) सरकार ने गैस की कीमत एवं उसके व्यवसायिक उपयोगों पर सक्षम मंत्रियों के समूह (ईजीओएम) का गठन किया गया है जो विभिन्न क्षेत्रों में एनईएलपी गैस के आवंटन के संबंध में निर्णय करता है। चौबीस फरवरी 2012 को हुई बैठक में इस्पात क्षेत्र में प्राकृतिक गैस की मांग पर चर्चा की गई।
केंद्रीय इस्पात मंत्री ने बताया कि वर्ष 2010-11 (अस्थायी) के दौरान देश में लौह अयस्क का उत्पादन लगभग 208 मिलियन टन हुआ था, जबकि इसकी घरेलू खपत 111 मिलियन टन थी और 97.66 मिलियन टन लौह अयस्क का निर्यात किया गया, इसलिए कुल मिलाकर देश में लौह अयस्क की कोई कमी नहीं है, इसके अलावा पिछले कुछ महीनों के दौरान कोकिंग कोयले के मूल्य अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गिरे हैं। उन्होंने बताया कि इस्पात उद्योग एक विनियंत्रित क्षेत्र है और इस्पात परियोजनाओं के वित्त प्रबंध के संबंध में धन की उपलब्धता, संस्रोतों को जुटाने, प्रचलित ब्याज दरों आदि के आधार पर व्यक्तिगत उद्यमियों द्वारा निर्णय लिया जाता है। ऋण पुर्नगठन सहित व्यक्तिगत परियोजनाओं के वित्त प्रबंध के मामले में इस्पात मंत्रालय की कोई सीधी भूमिका नहीं है। घरेलू लौह एवं इस्पात उद्योग के लिए सस्ती दर पर लौह अयस्क की उपलब्धता में सुधार लाने के लिए सरकार ने 30 दिसंबर 2011 से सभी श्रेणी के लौह अयस्क (पेल्इट को छोड़कर) पर आयात शुल्क बढ़ाकर, मूल्यानुसार 20 प्रतिशत से 30 प्रतिशत कर दिया है।