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नई दिल्ली। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार प्रोफेसर केवी थॉमस ने मंगलवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सामग्री की बर्बादी के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने और उसे नियंत्रित करने के उपायों का सुझाव देने के लिए सचिव, उपभोक्ता मामले विभाग की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। चार राज्यों अर्थात पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली, और तमिलनाडु के नागरिक आपूर्ति, खाद्य सचिव भी इस समिति के सदस्य हैं। समिति की पहली बैठक 23 जून 2011 को आयोजित की गई थी। उन्होंने कहा कि हाल ही में भारतीय लोक प्रशासन संस्थान ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली में सामाजिक समारोहों के दौरान खाद्य पदार्थों की बर्बादी और आडंबरपूर्ण व्यवहार के आंकलन पर एक प्रारंभिक अध्ययन, सर्वेक्षण किया। भारतीय लोक प्रशासन संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में अन्य बातों के साथ-साथ मुख्य रूप से जागरूकता अभियानों, शिक्षा आदि के जरिए देश की जनता में जागरूकता को बढ़ाने की आवश्यकता की सिफारिश की। रिपोर्ट में इस समस्या के समाधान के रूप में कानूनी प्रयासों की अनुपयुक्तता का उल्लेख किया गया है, क्योंकि यह अनिवार्य रूप से एक सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दा है।
मंत्री ने यह भी बताया कि इस संबंध में उपभोक्ता मामले विभाग के 5 अगस्त 2011 के पत्र के द्वारा मानव संसाधन विकास मंत्रालय और सभी राज्यों, संघ राज्य क्षेत्रों के शिक्षा मंत्रियों से इस मुद्दे को स्कूलों, कालेजों के पाठ्यक्रम में सामाजिक विज्ञान के एक अध्याय के रूप में शामिल करने के लिए कहा गया है ताकि बच्चे छोटी उम्र से ही इस मुद्दे के बारे में सचेत हो सकें। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा एवं अनुसंधान परिषद (एनसीआरटी) द्वारा विकसित किया गया राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा (एनसीएफ)-2005 में स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों के लिए सभी विषयों में नए पाठ्यक्रम और पाठ्य पुस्तकें शामिल की गई हैं। ‘खाद्य पदार्थों की बर्बादी’ से संबंधित सामग्री को माध्यमिक स्तर (कक्षा XI-XII) तक के स्वास्थ्य ओर शारीरिक शिक्षा संबंधी पाठ्यक्रम में पहले ही एक अनिवार्य विषय के रूप में शामिल किया गया है और खाद्य पदार्थों की बर्बादी से बचने पर जोर दिया गया है।