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गेहूं-चीनी की कीमतें स्थिर रखने के उपाय

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नई दिल्ली। कच्‍ची चीनी के आयात से इस समय बुनियादी सीमा शुल्‍क पूरी तरह से हटा हुआ है, यह छूट 31 मार्च 2012 तक रहेगी। सबसे अधिक कच्‍ची चीनी का आयात वर्ष 2008-09 और 2009-10 में किया गया जिस समय देश में चीनी का बहुत कम उत्‍पादन हुआ। राजस्‍व विभाग के अनुसार 2008-09 में 22.37 लाख टन एवं 2009-10 में 33.96 लाख टन चीनी का आयात किया गया। गेहूं की कीमतों में वृद्धि को स्थिर रखने के लिए मुक्‍त बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के अंतर्गत अक्‍टूबर 2011 से मार्च 2012 के बीच राज्‍यों और संघ शासित क्षेत्रों को 6.75 लाख टन गेहूं आवंटित किया गया है। बड़े खरीदारों को भारतीय खाद्य निगम के माध्‍यम से और छोटे/निजी विक्रेताओं को ओएमएसएस के अंतर्गत 9 लाख टन गेहूं आवंटित किया गया है। फुटकर उपभोक्‍ताओं को वितरित करने के लिए 20 लाख टन राष्‍ट्रीय सहकारी उपभोक्‍ता संघ और 10 लाख टन केंद्रीय भंडारों के लिए आवंटित किया गया है। घरेलू बाजार में इस समय गेहूं और चीनी की कीमतें स्थिर हैं। चीनी और गेहूं की सहित आवश्‍यक वस्‍तुओं की बाजार कीमतें विभिन्न‍कारणों पर निर्भर करती हैं-जैसे उत्‍पादन, भंडार, आपूर्ति, मांग, निर्यात, आयात और बाजार का रूख आदि। चीनी की कीमतों को विनियमित रिलीज व्‍यवस्‍था द्वारा तथा उचित बाजार हस्‍तक्षेप के द्वारा गेहूं की कीमतों को नियंत्रित रखने के ये सरकार के प्रयास हैं। ये जानकारी उपभोक्‍ता मामले, खाद्य एवं जन वितरण राज्‍य मंत्री प्रोफेसर केवी थॉमस ने लोकसभा में एक लिखित प्रश्‍न के उत्तर में दी।

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