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पिथौरागढ़। अखिल भारतीय किसान महासभा एक अप्रैल से उत्तराखंड राज्य में खेती-रोटी-गांव बचाओ अभियान चलाएगी। राज्य के सभी जिलों में अभियान इसी तिथि से शुरू होगा। अभियान के तहत बंदर, सूअर तथा आवारा पशुओं से खेती को होने वाले नुकसान के मामले को उठाया जाएगा। एक माह तक चलने वाले इस अभियान में गोष्ठी, धरना प्रदर्शन, पद यात्राएं, आयोजित की जाएंगी।
किसान महासभा के प्रदेश सचिव जगत मर्तोलिया ने कहा है कि उत्तराखंड राज्य में 11 वर्षो में आई सरकारों ने पशुपालन तथा खेती को हाशिए पर डाल दिया है। किसान महासभा राज्य के 13 जिलों में इस अभियान के साथ कृषि तथा पशुपालन को आजीविका के प्रमुख साधनों में लाने के लिए पूरा जोर लगाएगी। उन्होंने कहा कि खंडूरी सरकार ने नई कृषि नीति के नाम पर किसानों का मजाक उड़ाया है। खेती तथा पशुपालन के चौतरफा विकास तथा किसानों की खुशहाली को इस कृषि नीति में शामिल नहीं किया गया। कृषि नीति केवल खेतीहर भूमि को कब्जाने तथा भू माफिया को पहाड़ में पैर पसारने के लिए बनाया गया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के गांव खाली हो रहे हैं। पलायन तेजी से बढ़ रहा है। बंदर, सूअर तथा आवारा पशुओं ने उत्तराखंड की खेती को चौपट कर दिया है। गांव में किसानों ने इनके आतंक के कारण खेती करना तक छोड़ दिया है।
उन्होंने कहा कि खेती तथा बाग-बगीचों को इन जानवरों से बचाने के लिए नई कृषि नीति के लिए दबाव बनाने के लिए किसानों को एकजुट होना जरूरी है। किसानों में वैचारिक एकता के लिए किसान महासभा एक माह का अभियान चलाकर उत्तराखंड में प्रभावी किसान आंदोलन की बुनियाद रख रही है। पिथौरागढ़ में मूनाकोट विकासखंड के मजिरकांडा गांव से इसकी शुरूआत की जाएगी। इसके लिए पूरे उत्तराखंड में किसान महासभा ने जिला संयोजक तैनात किए हैं।