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लखनऊ। मुख्यमंत्री का आवास 5 कालिदास मार्ग चारों ओर दहशत और संदेह के माहौल से आखिर आजाद हुआ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव औपचारिक रूप से रविवार को अपने सरकारी आवास में पहुंचे। उनके साथ परिवार के सभी सदस्य एवं बच्चे भी थे। भारी संख्या में आए सामान्य जनों, सपा कार्यकर्ताओं और सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी के साथ आवास के लॉन में मुख्यमंत्री ने कुछ क्षण बिताए और उनके साथ फोटो भी खिंचवाए। पांच साल तक यहां सन्नाटा सा पसरा रहता था। यह सत्ता परिवर्तन की नई दस्तक थी।
कालिदास मार्ग के मुख्यमंत्री आवास में आजादी के जश्न का माहौल था। यहां संघर्ष के दिनों के साथी थे और उनके साथ क्रांतिरथ और साइकिल यात्राओं पर दिनरात साथ चलने वाले उत्साही नौजवान थे। सब गले मिल रहे थे। एक दूसरे को बधाइयां दे रहे थे। अपने युवा नेता का अभिनंदन करने को बेताब थे। दूसरे सामान्य जन अपनी समस्याएं लेकर आए थे, मुख्यमंत्री ने पहले ही दिन उनकी बातें सुनीं और तत्काल कार्यवाही के निर्देश दिए। इनमें किसान, अल्पसंख्यक, नौजवान तथा महिलाएं सभी थे।
मुख्यमंत्री ने बहुतों को नाम से पुकारा, उनका कुशल क्षेम पूछा, गांव-घर की स्थिति की चर्चा की। इनमें विधायक भी थे और जिलों से आए पदाधिकारी भी थे। सांसद धर्मेन्द्र यादव, सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी, युवा नेता संजय लाठर, आनंद भदौरिया, सुनील यादव, रामवृक्ष यादव, नईमुल हसन, नफीस अहमद, राजपाल कश्यप, निर्भय सिंह पटेल, रामसागर यादव एवं मनीष यादव तमाम चेहरों के बीच दिखाई दे रहे थे। मुख्यमंत्री बनने पर बधाई देने के लिए छपरौली (बागपत) से साइकिल से चलकर आयुष पवार के नेतृत्व में चार नौजवान भी आए थे। शनिवार को काफी लोगों ने मुख्यमंत्री से भेंट की। इस मौके पर मुख्यमंत्री आवास पर समाजवादी क्रांतिरथ, जो 12 सितम्बर 2011 से चला था, 5 कालीदास मार्ग पहुंचकर एक नए परिवर्तन का गौरवमय प्रतीक बन गया।
कालीदास मार्ग पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव भी पहुंचे। उन्होंने अखिलेश यादव को सच्चाई और ईमानदारी से काम करने के लिए आशीर्वाद दिया। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव भी अपने परिवार के साथ इस उत्सव में शरीक होने पहुंचे। उन्होंने भी नए मुख्यमंत्री को अपनी शुभकामनाएं दीं। सब ओर चर्चा थी कि जो 5 कालीदास मार्ग, बसपा मुख्यमंत्री के कार्यकाल में आतंक का केन्द्र था, आज वहां मुक्ति का एहसास हो रहा था। पहले यहां लोकतंत्र कैद था। यहां से पूरा राज्य जेलखाना बना हुआ था। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की उपस्थिति में लोहिया जयंती पर 23 मार्च, 2012 को धरना स्थल विधान भवन के सामने बहाल करने की घोषणा कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति अपनी निष्ठा पहले ही जाहिर कर दी थी।