स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
नई दिल्ली। भारत 29 मार्च 2012 को नई दिल्ली में चौथे ब्रिक्स (बीआरआईसीएस) शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। इसकी पूर्व संध्या पर 28 मार्च को पांच ब्रिक्स देशों के व्यापार मंत्री द्वितीय व्यापार मंत्री सम्मेलन के लिए मिलेंगे। ब्रिक्स देशों का प्रथम व्यापार मंत्री सम्मेलन 13 अप्रैल 2011 को चीन के सान्या में तीसरे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हुआ था। यह व्यापार मंत्री जेनेवा में दिसंबर 2011 में विश्व व्यापार संगठन के आठवें मंत्री स्तरीय सम्मेलन के दौरान भी मिले थे। सम्मेलन के संदर्भ में केंद्रीय वाणिज्य, उद्योग और कपड़ा मंत्री आनंद शर्मा ने कहा ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए यूरोजोन के ऋण संकट से उत्पन्न नये खतरों और वैश्विक ऊर्जा बाजार की अनिश्चितताओं का ब्रिक्स देशों के आर्थिक विकास पर भी असर पड़ेगा लेकिन मैं आश्वस्त हूं कि ब्रिक्स देश अच्छा विकास दर बनाये रखना जारी रखेंगे।’
दिल्ली शिखर सम्मेलन का लक्ष्य सघन सहयोग के लिए नये क्षेत्रों की खोज करना भी है। इस शिखर सम्मेलन का मुख्य विषय स्थायित्व, सुरक्षा और विकास के लिए साझेदारी रखा गया है। ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग की मौजूदा रफ्तार पर आनंद शर्मा ने कहा कि ब्रिक्स देशों के परस्पर व्यापार और निवेश के लिए एक व्यापक विकास की संभावना है, जिसपर अभी ध्यान नहीं दिया गया है तथा हम इसी की संभावना पर विचार कर रहे हैं। ब्रिक्स विकास बैंक स्थानीय मुद्राओं में ऋण सुविधा के विस्तार और व्यापार तथा निवेश संबंधों को मजबूत करने के लिए बहुआयामी ऋण पत्र की संकोष्टी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सम्मुन्नत चरणों में पहुंच चुके हैं। ऐसी पहल न केवल परस्पर व्यापार और निवेश को बढ़ावा देगी बल्कि कठिन समय में हमारे आर्थिक विकास को भी मजबूत करेगी।
सान्या में ब्रिक्स देशों के व्यापार मंत्रियों के सम्मेलन के बाद आर्थिक एवं व्यापार विषयों पर एक संपर्क समूह स्थापित किया गया था। इस संपर्क समूह का लक्ष्य ब्रिक्स देशों में और उनके साथ सभी विकासशील देशों के बीच दक्षिण-दक्षिण परिप्रेक्ष वाले आर्थिक सहयोग के लिए संस्थागत रूपरेखा और ठोस उपायों को तैयार करना है। यह संपर्क समूह अब तक दो बार, 2 दिसम्बर 2011 को बीजिंग में और 6-7 मार्च 2012 को नई दिल्ली में बैठकें कर चुका है। मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग के लिए नये क्षेत्रों पर चर्चा होने की उम्मीद है। इस चर्चा से प्राप्त अनुशंसाओं को 29 मार्च के शिखर सम्मेलन में शामिल किया जाएगा।