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प्रतिस्‍पर्धा कानून की वकालत

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नई दिल्ली। प्रतिस्‍पर्धा कानून एक आधुनिक कानून है, जिसमें प्रतिस्‍पर्धा को सीमित करने के लिए बने स्‍वतंत्र संगठन, बोली के भाव बढ़ाने, प्रभावशाली स्थिति के दुरूपयोग और विलयन नियंत्रण सहित प्रतिस्‍पर्धा रोधी समझौतों पर रोक लगाने के प्रावधानों सहित एकाधिकार व्‍यापार विरोधी सभी सिद्धांतों को व्‍यापक तौर पर स्‍वीकार किया गया है। इसमें बौद्धिक संपदा और प्रतिस्‍पर्धा, प्रतिस्‍पर्धा को सीमित करने के लिए बने स्‍वतंत्र संगठन के साधनों, तहकीकात और जांच संबंधी शक्तियों के साथ-साथ अन्‍य उपाय शामिल हैं।
कानून के उद्देश्‍यों को भारत के प्रतिस्‍पर्धा आयोग के जरिये हासिल किया जा सकता है, जिसे केंद्र सरकार ने स्‍थापित किया है। प्रतिस्‍पर्धा कानून के प्रतिपालन आदेश को प्राप्‍त करने के बाद भारत के प्रतिस्‍पर्धा आयोग ने नियमों, नियमन और सरकारी नीतियों के प्रतिस्‍पर्धात्‍मक आकलन को सरल बनाना शुरू किया, जिसकी विषय वस्‍तु असावधानी के कारण प्रतिस्‍पर्धा के माहौल पर प्रतिकूल असर डाल सकती है। विभिन्न सरकारी विभागों के वरिष्‍ठ अधिकारियों की जानकारी को ध्‍यान में रखते हुए आयोग ने उन्‍हें उनके संबद्ध विभागों के प्रतिस्‍पर्धात्‍मक आकलन के लिए नोडल अधिकारी बनाया है। अब तक केंद्र सरकार 50 मंत्रालयों, विभागों में इस उद्देश्‍य के लिए नोडल अधिकारी मनोनीत किए जा चुके हैं। इस तरह का कार्य राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किया जा रहा है।
राज्‍यों, केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्‍य सचिव, प्रशासकों से कहा गया है कि वे नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करें, ताकि उनके राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों के तैयार किये गए नियमों एवं नीतियों के मुताबिक कार्य किया जा सके। संघीय ढांचे को ध्‍यान में रखते हुए आयोग की भूमिका सलाहकार और सरल बनाने वाले की होगी। यह राज्‍य सरकारों पर निर्भर करेगा कि वह इस संबंध में उचित उपायों पर विचार करें और फैसला करें।

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