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नई दिल्ली। रक्षा मंत्री एके एंटनी ने राज्यसभा में बुधवार को एक लिखित प्रश्न के उत्तर में बताया कि सरकार सुरक्षा परिदृश्य की निरंतर समीक्षा करती है और तदनुसार उचित रक्षा उपकरणों, प्लेटफार्मों को शामिल करने का निर्णय लेती है। हमारे सशस्त्र बलों की तैयारी की स्थिति में रखने के लिए यह एक सतत रूप से चलने वाली प्रक्रिया है जो अनेक स्वदेशी तथा विदेशी स्रोतों से अधिप्राप्ति किए जाने के माध्यम से की जाती है। स्वदेशी स्रोतों से की जाने वाली अधिप्राप्ति का हिस्सा पूंजीगत अधिग्रहण पर होने वाले व्यय का लगभग 65-70 प्रतिशत है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों, आयुध निर्माणी बोर्ड और भारतीय निजी क्षेत्र के सहयोगी प्रयासों के जरिए रक्षा उपकरणों के स्वदेशी विनिर्माण पर प्रमुख रूप से बल दिया जाता रहा है। रक्षा उद्योग की मई 2001 में लाइसेंस के अधीन 26 प्रतिशत तक के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति के साथ भारतीय निजी क्षेत्र की सहभागिता के लिए खोल दिया गया था। रक्षा उत्पादन में व्यापक आत्म निर्भरता प्राप्त करने की दृष्टि से सरकार ने जनवरी 2011 में रक्षा अधिप्राप्ति नीति की घोषणा की है। इसके अलावा, सरकार ने देश में स्वदेशी उत्पादन का बढ़ावा देने के लिए नवंबर 2009 में रक्षा अधिप्राप्ति प्रक्रिया में एक नई श्रेणीकरण ‘खरीदों और बनाओ (भारतीय)’ को शामिल किया है।