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नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2011-12 के अप्रैल से फरवरी अवधि के दौरान भारत के 12 मुख्य पत्तनों पर पोत लदान 510.8 मिलियन टन रहा, जो पिछले वर्ष के इसी अवधि के तुलना में 1.59 प्रतिशत ज्यादा रहा। इस वृद्धि को वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद प्राप्त किया जा सका है। केंद्रीय जहाज रानी मंत्री जीके वासन ने नई दिल्ली में अपने मंत्रालय की परामर्श समिति के बैठक के दौरान कहा कि कुल वस्तुगत स्तर पर वित्त वर्ष 2011-12 के अप्रैल से फरवरी के अवधि में यह कोयला, कंटेनर, अन्य लदान, उर्वरक, कच्चा उर्वरक पदार्थ और पीओएल लदान में क्रमश: 9.4 प्रतिशत, 6.7 प्रतिशत, 5.9 प्रतिशत, 1.9 प्रतिशत और 0.2 प्रतिशत रहा।
जहाज रानी मंत्री ने सदस्यों को बताया कि वित्त वर्ष 2011-12 के अप्रैल से फरवरी अवधि में एन्नोर पत्तन ने लदान यातायात में सबसे ज्यादा रिकॉर्ड 47 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। कोचीन पत्तन दूसरे स्थान पर रहते हुए 13.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जबकि तमिलनाडु के तुतीकोरीन स्थित वीओ चिदंबरनार पत्तन ने 13.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। उन्होंने कहा कि मुख्य पत्तनों में कांडला पत्तन पर अधिकतम 75.4 मिलियन टन लदान हुआ, जो कुल बड़े पत्तनों पर किये गए लदान का 14.8 प्रतिशत है। इसके बाद विशाखापटनम 12.2 प्रतिशत एवं जेएनपीटी 11.8 प्रतिशत हिस्से के साथ क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर है। भारत के विदेशी व्यापार का लगभग 95 प्रतिशत आकार में और 70 प्रतिशत मूल्य का परिवहन समुद्र के जरिए किया जाता है। आकार में भारतीय पत्तनों पर किये गए कुल लदान का 75 प्रतिशत हिस्सा 12 बड़े पत्तनों से होता है। जहाज लदान यातायात विभिन्न पत्तनों पर मुख्य रूप से वैश्विक और घरेलू गतिविधियों में होने वाले स्तरों और बदलाव पर निर्भर करता है।
लोह अयस्क (मुख्य रूप से निर्यात) में पोत लदान यातायात वित्त वर्ष 2011-12 के अप्रैल से फरवरी की अवधि में विशेष रूप से प्रभावित रहा और इसमें 28.6 प्रतिशत की गिरावट आई। मुख्य पत्तनों पर पोत लदान यातायात में शामिल कुल घटकों में सबसे ज्यादा वस्तुगत वस्तुएं शामिल रहीं (कुल लदान में प्रतिशत हिस्से के साथ)। इसमें पीओएल (32.0 प्रतिशत) उसके बाद कंटेनर यातायात (21.4 प्रतिशत) अन्य लदान (17.8 प्रतिशत) कोयला (14.0 प्रतिशत) लोह अयस्क (11.0 प्रतिशत) एवं उर्वरक और एफआरएम (3.8 प्रतिशत)। वैसे मुख्य पोत जिन्होंने वित्त वर्ष 2011-12 के अप्रैल से फरवरी के महीने में जिन्होंने गिरावट दर्ज की है, उनमें मॉर्मुगाव (20.0 प्रतिशत) हल्दिया डॉक कॉम्प्लेक्स–एचडीसी (9.5 प्रतिशत) चेन्नई पत्तन (7.8 प्रतिशत), कोलकाता डॉक प्रणाली-केडीएस (3.8 प्रतिशत) और पारादीप (6 प्रतिशत)।
बैठक में भाग ले रहे संसद सदस्यों ने प्रमुख पत्तनों के रख-रखाव के लिए जहाज रानी मंत्रालयों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इन पत्तनों की क्षमता बढ़ाने के लिए कई सुझाव दिये। इन सुझावों में देश के विभिन्न पत्तनों पर वर्ग-।।। और IV के रिक्त पदों को तुरंत भरना शामिल है। एक सदस्य ने सलाह दी की विभिन्न पत्तनों को आवश्यक प्रदूषण नियंत्रक उपाय करना चाहिए। एक सदस्य ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय जलीय परिवेश में भारतीय जहाजों पर कार्यरत कर्मचारियों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इस बैठक में उपयुक्त आपदा प्रबंधन नीति का भी सुझाव था। नौवहन क्षेत्र के विकास के लिए सदस्यों के महत्वपूर्ण सुझाव पर उन्हें धन्यवाद देते हुए वासन ने कहा कि उनके सुझाव जहाजरानी मंत्रालय को विभिन्न पत्तनों पर लदान क्षमता को बढ़ाने में मार्ग दर्शन का काम करेंगे। इस बैठक में लोकसभा के सदस्यों में फ्रांसिस्को कॉस्मी सरडिंहा, अनिरूधन संपथ, पूनमबेन वेल्जीभाई जाट, नलीन कुमार कटील एवं जेएम एरोन रशीद शामिल थे।