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नई दिल्ली। चौथे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की समाप्ति पर मीडिया से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि भारत को नई दिल्ली में चौथे ब्रिक्स सम्मेलन की मेजबानी करने और समूह के अध्यक्ष का पदभार संभालने में बेहद प्रसन्नता हुई है, मैं शिखर सम्मेलन में भाग लेने का निमंत्रण स्वीकार करने के लिए ब्राजील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति के प्रति आभार व्यक्त करता हूं। हमने वैश्विक शासन और निरंतर विकास से जुड़े मुद्दों पर समृद्ध और लाभदायक विचार-विमर्श समाप्त किया है, हमने वैश्विक आर्थिक स्थिति की समीक्षा की है, हमने स्थायी विकास को बढ़ावा देने और उसके लिए धन की व्यवस्था करने की तरीकों पर विचार-विमर्श किया और ऊर्जा तथा खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों के बारे में बातचीत की। हमने पश्चिम एशिया की स्थिति के बारे में गहराई से विचार-विमर्श किया, हम सीरिया और ईरान की समस्याओं का बातचीत के जरिए स्थायी समाधान निकाले जाने पर सहमत हुए, हमने इस बात पर भी सहमति व्यक्त की कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अफगानिस्तान के साथ खुद को जोड़कर रखना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने आने वाले वर्षों में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में सलाह-मशविरा और समन्वय के त्वरित कार्यक्रमों पर भी सहमति व्यक्त की। यह दिल्ली घोषणा पत्र की कार्य योजना में झलकता है। आगे बढ़ते हुए हम हाल ही में जारी ब्रिक्स रिपोर्ट की सिफारिशों का अध्ययन करेंगे, जिसमें संरचनात्मक सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की गई है, जहां हमारे साझे फायदों के लिए ब्रिक्स अर्थव्यवस्थाओं के बीच सहयोगपूर्ण कार्य को काम में लाया जा सकता है। हम इन संबंधों को बनाने के लिए संस्थागत ढांचे को विकसित कर रहे हैं। ब्रिक्स देशों के विकसित बैंकों ने जिस समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं, उससे हमारी स्थानीय मुद्राओं में कर्ज की पेशकश से हमारे बीच व्यापार बढ़ेगा। ब्रिक्स विकास बैंक स्थापित करने का सुझाव रखा गया। हमने अपने वित्त मंत्रियों को निर्देश दिया है कि वे इस प्रस्ताव पर विचार करें और अगले शिखर सम्मेलन में इसके बारे में बताएं। हम आपस में ब्रिक्स व्यापार और निवेश संपर्क मजबूत करने पर सहमत हुए। हमारे व्यापार मंत्रियों ने बिजनेस फोरम में व्यवसायिक समुदायों से मुलाकात की है।
उन्होंने कहा कि विश्व अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है। ब्रिक्स अर्थव्यवस्थाओं के वित्तीय संकट से तेजी से उबारने से उनकी भूमिका विश्व की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के रूप में दिखाई देती है। हमारा उद्देश्य साझा विकास में अर्थपूर्ण भागीदारी को बढ़ावा देना, वैश्विक चुनौतियों से मिलकर मुकाबला करना और विश्व शांति, स्थिरता और सुरक्षा में और अधिक योगदान देना है।