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जम्मू। भारत के साथ जम्मू-कश्मीर के विलय दिवस को जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी ने समारोह पूर्वक गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया। पार्टी ने रैलियां निकालीं और लद्दाख, कश्मीर और जम्मू में सभाएं आयोजित कीं। ज्ञातव्य है कि हर साल 27 अक्टूबर को प्रदेश में गणतंत्र दिवस की तरह से विलय दिवस मनाया जाता है। श्रीनगर में पैंथर्स पार्टी ने अपने मुख्यालय पर रैली आयोजित की, जिसकी सदारत पार्टी के महासचिव और विधायक सैयद रफीक शाह ने की। इसके अलावा अनेक गैर-सरकारी संस्थाओं ने भी विलय-दिवस को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया।
सन् 1947 में सत्ताईस अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर रियासत के महाराजा हरिसिंह ने भारत में अपनी रियासत के विलय-पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने यह हस्ताक्षर तब किए थे जब 22 अक्टूबर, 1947 को पाकिस्तान की तरफ से जम्मू-कश्मीर पर हमला कर दिया गया था और महाराजा हरिसिंह ने भारत से सैनिक-सहायता की अपील की थी। सन् 1947 के पाकिस्तानी आक्रमण का बड़े साहस के साथ मुकाबला करने के लिए प्रो भीम सिंह ने डोगरा सेना और ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह की बड़ी सराहना की, जिन्होंने देश की रक्षा में अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिये। उन्होंने ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह के लिए अशोक चक्र (मरणोपरांत) की मांग करते हुए उनके परिजनों के लिए उपयुक्त मुआवजे की भी मांग की।
प्रो भीम सिंह ने हाल के गिलगित-बल्तिस्तान कांड पर भारत की ख़ामोशी पर गहरा दुख जताया। उन्होंने भारत सरकार से मांग की कि वह गिलगित-बल्तिस्तान को पाकिस्तान का प्रांत बनाने के पाकिस्तान के कदम के खिलाफ आवाज़ उठाएं और वहां के नागरिकों को जनमत संग्रह करके अपना फैसला करने का मौका दिलाएं। अनेक विख्यात लोगों ने सभाओं को सम्बोधित किया, जिनमें विधायक हर्षदेव सिंह, विधायक बलवंत सिंह मनकोटिया, विधायक यशपाल कुंडल आदि के साथ-साथ डा चम्पा शर्मा, मोहन सिंह सलाथिया, डा जीतेंद्र ऊधमपुरी, सरदार जगतारसिंह, हरिचंद झलमेरिया, डा योगेंद्र मकवाना (पूर्व केन्द्रीय गृहमंत्री), आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
विलय दिवस समारोह में प्रख्यात संगीतकार गुलाम मोहम्मद ने अपनी सारंगी के संगीत के साथ विलय की गाथा सुनाई। डोगरों की 1947 से अभी तक की हालत पर बलवंत ठाकुर ने एक शो भी प्रस्तुत किया। प्रदुमन सलाथिया ने ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह की कुर्बानी पर एक भावभरा गीत भी प्रस्तुत किया।