स्वतंत्र आवाज़
word map

भारत-ब्राजील में सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान समझौता

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

मनमोहन सिंह और दिलम रौस्सेफ्फ़/manmohan singh and dilm russeff

नई दिल्ली। भारत और ब्राजील में सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान समझौते पर हस्‍ताक्षर के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ब्राजील की राष्‍ट्रपति दिलमा रौसेफ का यह कहते हुए स्‍वागत किया कि यह उनकी भारत की पहली सरकारी यात्रा है, हमने उपयोगी बातचीत की है, राष्‍ट्रपति रौसेफ कई क्षेत्रों में अग्रणी हैं, ब्राजील के राष्‍ट्रपति पद पर चुने जाने वाली वे देश की पहली महिला हैं, उनका व्‍यक्तिगत उत्‍साह और लोकतंत्र, मानवाधिकार और दलितों के उत्‍थान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को सभी जानते हैं, उनके कार्यों और उपलब्धियों की मैं प्रशंसा करता हूं, दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय से सम्‍मानद डॉक्‍टरेट उपाधि प्राप्‍त करने पर मैं उन्‍हें बधाई देता हूं।
मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत और ब्राजील विविध और बहुजातीय जीवंत लोकतंत्र हैं, हम दोनों देश एक ऐसी अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यवस्‍था के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे ग़रीबी उन्मूलन और सामाजिक विकास के हमारे प्रयासों में सहायता मिले, नई वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था के लिए हमारे दोनों देश विकास के नए केंद्र हैं, विभिन्‍न अंतर्राष्ट्रीय और बहुस्‍तरीय मंचों में हम आपसी सहयोग को बहुत महत्‍व देते हैं, अभी कल ही चौथा ब्रिक्‍स शिखर सम्‍मेलन हुआ है, राष्‍ट्रपति रौसेफ और मैं वैश्विक प्रशासन प्रणाली में सुधार के लिए आपसी परामर्श बढ़ाने पर सहम‍त हुए हैं, जो विशेष रूप से संयुक्‍त राष्‍ट्र में सुधारों और जी-20 की प्रक्रिया के संदर्भ में जरूरी है। जी-4 के भागीदार देशों के रूप में हम संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए विशेष रूप से अपने प्रयास बढ़ाने पर सहमत हुए हैं।
उन्होंने कहा कि हम इब्सा के महत्व के बारे में भी सहमत हैं और इसके जरिये विकासशील देशों में सहयोग बढ़ाना चाहते हैं, हमने विभिन्न वैश्विक घटनाओं के बारे में भी विचारों का आदान-प्रदान किया है, हमारे विचारों में बहुत समानता है, हमारा यह दृढ़ मत है कि पश्चिमी एशिया संकट का समाधान वार्ता और परामर्श से ही निकल सकता है, इसी प्रकार पर्यावरण संबंधी मुद्दों के बारे में भी भारत और ब्राजील के विचार एक सामान हैं। इस वर्ष जून में ब्राजील में सतत विकास पर महत्वपूर्ण रियो-20 सम्मेलन होना है, मैने राष्ट्रपति रौसेफ को इसकी सफलता के लिए भारत के पूरे सहयोग का आश्वासन दिया है, हमारी सामरिक साझेदारी और मजबूत हुई है, राष्ट्रपति रौसेफ और मैने दोनों देशों के संबंधों की व्यापक समीक्षा की है, जिसमें अंतर सरकारी संयुक्त आयोग का कार्य भी शामिल है, जिसकी बैठक पिछले दिसंबर में नई दिल्ली में हुई थी। हमने अपने अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि वे व्यापार, शिक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, रक्षा, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा जैसे क्षेत्रो में पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिए विशेष प्रयास करें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार और निवेश प्रवाह में काफी वृद्धि हुई है, लेकिन हम दोनों इस बारे में सहमत हैं कि इन्हें और बढ़ाया जा सकता है, आपसी व्यापार को बढ़ाने के लिए हम आवश्यक उपाय करने पर सहमत हुए हैं, भारत-ब्राजील सीईओ फोरम का पुनर्गठन इस दिशा में पहला कदम है, समग्र विकास को बढ़ावा देने के रास्ते में दोनों देशों के सामने एक जैसी चुनौतियां हैं, ब्राजील ने विभिन्न सामाजिक कल्याणकारी कार्यक्रमों को सफलता पूर्वक लागू किया है, जो भारत की स्थिति के लिए भी संगत हैं, हम इस बारे में अनुभवों का अनुदान प्रदान करने पर सहमत हुए हैं, मैने राष्ट्रपति रौसेफ के ‘सीमा रहित विज्ञान’ की नई पहल में भारत की दिलचस्पी दिखाई है, जिसका उद्देश्य वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी प्रतिभा को उन्नत करना है।
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि हमारे विज्ञान और इंजीनियरिंग संस्थानों में ब्राजील के छात्र आएं, राष्ट्रपति रौसेफ और मैं दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्कों और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ाने की आवश्यकता महसूस करते हैं, आज सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम पर हस्ताक्षर हुए हैं, इससे आपसी संपर्क बढ़ेंगे और मेरा यह निश्चित मत है कि हमारे दोनों देशों और विश्व के हित में ब्राजील और भारत के बीच सामरिक साझेदारी हर संभव तरीके से मजबूत हो, इस उद्देश्य कि लिए मैं राष्ट्रपति दिलमा रौसेफ के साथ घनिष्ठ सहयोग के साथ कार्य करना चाहूंगा।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]