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ब्रिटेन-भारत में आर्थिक और वित्तीय वार्ता

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प्रणव मुखर्जी और जॉर्ज ओसबोर्न/pranab mukherjee and george osborne

नई दिल्ली। ब्रिटेन-भारत के बीच आर्थिक और वित्तीय वार्ता के पांचवे दौर के बाद ब्रिटेन के वित्तमंत्री और भारत के वित्तमंत्री ने एक संयुक्त प्रेस वक्तव्य जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि हाल के महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर हुई है, लेकिन वृद्धि दर अभी हल्की रहेगी। भारत और ब्रिटेन पहले की स्थिति की बहाली, वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने और विश्वास बहाली के समर्थन में अपनी भूमिका के संदर्भ में समान प्रतिबद्धताओं को साझा करते हैं।
ब्रिटेन और भारत के वित्तमंत्रियों ने वार्षिक आर्थिक और वित्तीय वार्ता के पांचवे दौर में आपसी मुलाकात की। वार्ता में वित्त मंत्रालयों और नियामक निकायों के वरिष्ठ प्रतिनिधि भी शामिल थे। आपसी साझेदारी को मजबूत करने और दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को और आगे बढ़ाने पर चर्चा की गई। यह मद्देनजर रखते हुए कि दोनों देश अवसंरचना के वित्तपोषण में सांस्थानिक निवेशकों की बढ़ती भूमिका के सामान्य उद्देश्यों को साझा करते हैं, वार्ता के तहत दोनों पक्षों ने वित्तीय अवसंरचना में विचारों के आदान प्रदान का स्वागत किया।
दोनों पक्षों ने भारत में अवसंरचना के वित्तपोषण के लिए गहरे और प्रभावी पूंजी बाजारों के विकास के महत्व पर भी चर्चा की। इस प्रक्रिया में विदेशी पूंजी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। दोनों पक्षों ने भारत में विदेशी बैंकों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के रोडमैप की प्रगति का समर्थन किया। इस वार्ता ने ब्रिटिश-भारतीय आर्थिक और वित्तीय संबंधों की जारी मजबूती की पुनःपुष्टि की। दोनों पक्ष अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए वर्ष भर साथ मिलकर काम करने पर सहमत हुए। उन्होंने कहा कि वे 2013 में होने वाली अगले दौर की वार्ता के लिए आशान्वित हैं।

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