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औद्योगिक क्रांति से धरती पर गहरा दबाव

संयुक्‍त राष्‍ट्र की बैठक में जयंती नटराजन ने कहा

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जयंती नटराजन/jayanti natarajan

न्‍यूयॉर्क। संयुक्‍त राष्‍ट्र मुख्‍यालय, न्‍यूयॉर्क में 2 अप्रैल को ‘खुशहाली एवं संपन्नता-एक नई अर्थव्‍यवस्था का प्रतीक’ विषय पर आयोजित एक उच्‍चस्‍तरीय बैठक में भारत की पर्यावरण एवं वन राज्‍यमंत्री जयंती नटराजन ने कहा है कि हमारे धर्म, परंपराओं और दर्शन ने खुशहाली और आंतरिक शांति के लिए हमें शिक्षा दी है, भारत के महान सम्राट अशोक ने सामाजिक कल्‍याण, पारिस्थिकी दायित्‍व, समान न्‍याय और सभी प्राणियों के लिए सम्‍मान पर आधारित शांतिपूर्ण अस्तित्‍व को प्रोत्‍साहित किया, लेकिन आज विशाल भौतिक विकास ने औद्योगिक क्रांति की वजह से धरती पर गहरा दबाव उत्‍पन्‍न कर दिया है।
उन्होने कहा कि मुझे याद नहीं है कि किसी एक सम्‍मेलन में संपन्‍नता और आर्थिक सुधार पर एक साथ बात हुई हो, इसीलिए यह एक ऐतिहासिक सम्‍मेलन है और इसमें अपनी उपस्थिति से मैं वास्‍तव में गौरवान्वित महसूस कर रहीं हूं, हम भूटान सरकार खासतौर से प्रधानमंत्री थिनले के टिकाऊ विकास के लिए खुशहाली के विचार को बातचीत के लिए बड़े स्‍तर पर लाने के लिए प्रयासों की सराहना करते हैं। उन्‍होंने कहा कि कुछ ही महीनों में रिओ सम्‍मेलन होने जा रहा है, जहां हम सभी एक नए भविष्‍य का खाका खींचने के लिए इकट्ठा होंगे, जिसमें न भूख होगी न जरूरतों की कमी, जिसमें प्रकृति के साथ लोग सौहार्दपूर्ण वातावरण में रहेंगे, जिसमें सभी का विकास सुनिश्चित किया जाएगा।
उन्‍होंने भूटान के प्रधानमंत्री थिनले को संबोधित करते हुए कहा कि उनका देश, भारत के लिए एक मित्र से भी बढ़कर है, गत वर्ष दिल्‍ली में संसद में आयोजित प्रोफेसर हिरेन मुखर्जी व्‍याख्‍यान में सकल राष्‍ट्रीय खुशहाली पर भाषण में उनके विचारों से समग्र विकास के लक्ष्‍य को हासिल करने में हमें और गहराई से सोचने का अवसर मिला है। उन्‍होंने सम्‍मेलन की अध्‍यक्षा को संबोधित करते हुए कहा कि हमने उल्‍लेखनीय प्रगति की है, लेकिन अत्यधिक गरीबी के उन्‍मूलन सहित सहस्राब्दि विकास लक्ष्‍य से हम अभी भी दूर हैं, हमें सभी चेहरों से आंसू पोछने होंगे, अभी भी लाखों लोग सामान्‍य स्वच्छता, स्‍वास्‍थ्‍य एवं कपड़ों के अभाव में जी रहे हैं, प्रगति और विकास का लाभ इन लोगों को भी होना चाहिए, जिससे ये सम्‍मान पूर्ण जीवन जी सकें।
जयंती नटराजन ने कहा कि सहस्राब्दि विकास लक्ष्‍य हासिल करने में ह‍में एक नई आदर्श अर्थव्‍यवस्‍था के निर्माण की जरूरत है, हमें उन बुनियादी बातों के पुनर्मूल्‍यांकन की जरूरत है, जिन पर नगर निकाय संस्‍थाएं आधारित हैं। उन्‍होंने कहा कि दुनियां के करोड़ों लोगों के सामने विकल्‍पों की कमी एक बड़ी समस्‍या है, इन विकल्‍पों की पूर्ण अभिव्‍यक्ति के लिए विकास की प्रक्रिया को राष्‍ट्रीय और वैश्विक स्‍तर पर भागीदारीपरक होना चाहिए, हमें इन लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने के लिए प्रभावशाली अन्‍तर्राष्‍ट्रीय सहभागिता का सृजन करना चाहिए और वैश्विक शासन व्‍यवस्था को लोकतांत्रिक बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं आपको विश्‍वास दिला सकती हूं कि भारत स्‍पष्‍ट, न्‍यायसंगत और प्रतिमान जैसे दायित्‍वों और वैश्विक जवाबदेही के साथ काम करेगा।

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