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लखनऊ। राज्य सरकार ने प्रदेश के शिक्षित एवं अशिक्षित बेरोजगार युवकों को उनकी क्षमता एवं दक्षता के अनुसार विभिन्न रोजगारपरक ट्रेडों में प्रशिक्षित कर रोजगार के लायक बनाने और स्वरोजगार को प्रेरित करने के लिए व्यवसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद का गठन किया है। व्यवसायिक एवं प्राविधिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव इस परिषद को पदेन अध्यक्ष होंगे। परिषद का मुख्यालय लखनऊ में होगा। परिषद एक निगमित निकाय होगी, जिसमें सदस्यों के चयन एवं नामांकन की व्यवस्था होगी। परिषद के अन्तर्गत मान्यता समिति, परीक्षा प्रमाण-पत्र समिति, पाठ्यक्रम समिति, स्वरोजगार समिति एवं वित्त समिति गठित की जायेगी। परिषद के गठन के सभी अधिकार राज्य सरकार में निहित रहेंगे। परिषद के प्रशासनिक दायित्वों में अध्यक्ष के अतिरिक्त एक-एक सचिव, निदेशक, उप निदेशक वित्त, व्यवसायिक शिक्षा अधिकारी, परीक्षा नियंत्रक, लेखा अधिकारी, सहायक लेखा अधिकारी, तीन-तीन वरिष्ठ लिपिक एवं कनिष्ठ लिपिक, दो कम्प्यूटर आपरेटर तथा दो चतुर्थ श्रेणी कर्मी का प्रशासनिक ढांचा स्वीकृत किया गया है।
मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता के शासनादेश में व्यवसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद के कार्य एवं दायित्व निर्धारित किये गये हैं, जिसके अन्तर्गत परिषद को समय की मांग के अनुसार नवयुवकों के किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यवसायपरक शिक्षा देने के साथ-साथ रोजगारोन्मुख बनाने का दायित्व सौंपा गया है। यह परिषद रोजगार बाजार के विभिन्न क्षेत्रों में मांग के अनुरूप कुशल कार्मिकों की पूर्ति का दायित्व भी सुनिश्चित करेगी। ऐसे छात्र जो आठवीं, दसवीं एवं बारहवीं कक्षा पास करने के बाद ड्रॉप आउट कर जाते हैं, को चिन्हित कर उन्हें व्यवसायिक शिक्षा से जोड़कर रोजगार के लिए प्रेरित किया जायेगा। इसके अतिरिक्त उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाली शिक्षित बेरोजगारों की भीड़ को नियंत्रित करने, बेरोजगारी के कारण उत्पन्न होने वाली बुराइयों से समाज को बचाने, अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि, कृषि भूमि पर बढ़ते दबाव, कम होते रोजगारों के अवसरों के कारण उत्पन्न हो रही समस्याओं के समाधान, औद्योगिक मांग के साथ विभिन्न कोर्सेज़ के थ्योरी और प्रेक्टिकल पाठ्यक्रम तैयार करने, पाठ्यक्रम के अनुरूप उनका प्रकाशन और उससे जुड़ी पुस्तकों का प्रकाशन एवं उपलब्धता सुनिश्चित करना भी परिषद का दायित्व होगा।
शासनादेश में कहा गया है कि व्यवसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद व्यवसायिक शिक्षा से सम्बन्धित सभी परीक्षाएं आगामी सत्र 2010-11 से संचालित करेगी। प्रशिक्षार्थियों की परीक्षा के संचालन, सफल अभ्यर्थियों को प्रमाण-पत्र जारी करना, व्यवसायिक शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त करने हेतु मानकों का निर्धारण, संस्थाओं की मान्यता, मार्डन वोकेशनल स्कूल की मान्यता, वोकेशनल गाइडेन्स एवं काउन्सलिंग की सुविधा भी परिषद करेगी। परिषद के अन्तर्गत विभिन्न व्यवसायिक संस्थाओं से विभिन्न पाठ्यक्रमों में शिक्षा प्राप्त करने वाले कर्मकार की आयु सीमा 14 वर्ष से ऊपर किसी भी आयु सीमा तक हो सकती है। कोई भी व्यक्ति परिषद के किसी भी पाठ्यक्रम परीक्षा में शामिल हो सकेगा। परिषद से असंगठित क्षेत्र के कर्मकार जिनकी संख्या कुल कर्मकारों के 95 प्रतिशत है, भी इससे लाभान्वित हो सकेंगे।
शासनादेश में आगे कहा गया है कि वर्तमान में माध्यमिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत माध्यमिक शिक्षा परिषद के 102 स्तर पर 10 व्यवसायिक ट्रेडों के पाठ्यक्रम में जो पढ़ाई का कार्य प्रदेश के 892 हाई स्कूल तथा इण्टरमीडिएट कालेजों में संचालित किया जा रहा है, फिलहाल चलता रहेगा। इसके अतिरिक्त व्यवसायिक ट्रेडों के पाठ्यक्रमों के संचालन करने की अनुमति एवं मान्यता व्यवसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद से ली जायेगी। मुख्य सचिव ने परिषद के कार्यों एवं दायित्वों के निर्वहन हेतु उत्तर प्रदेश व्यवसायिक परिषद अधिनियम एवं व्यवसायिक शिक्षा परिषद की नियमावली शीघ्र बनाई जाने के निर्देश दिए हैं।