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लखनऊ। 'दुनिया भर में हर्बल पदार्थो का चलन तेजी से बढ़ रहा है, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अमेरिका में 33 फीसदी लोग हर्बल पद्धति में विश्वास करते हैं, रिपोर्ट के मुताबिक 62 अरब अमेरिकी डालर के मूल्यों के हर्बल पदार्थो की मांग है और यह मांग लगातार बढ़ती जा रही है।' ये बातें पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक प्रोफेसर आरपी राय ने मलिहाबाद ब्लाक मुख्यालय पर माँ सेवा संस्थान के दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में जैविक विधि से हर्बल की खेती विषय पर किसानों को संबोधित करते हुए बताईं।
उन्होंने कहा कि चीन करीब 22 हजार करोड़ रूपये के औषधीय पौधे पर आधारित पौधे का सालाना निर्यात कर रहा है। भारत का निर्यात केवल 450 करोड़ रूपये तक ही है जबकि भारत में हर्बल की खेती का कार्यक्षेत्र बहुत ही विस्तृत है। उन्होंने कहा कि किसानों को हर्बल की खेती पर जोर देने की आवश्यकता है, वर्तमान में हर्बल की खेती से प्रति एकड़ ढ़ाई से तीन लाख रूपये की आमदनी आसानी से की जा सकती है।
प्रशिक्षण शिविर के दूसरे दिन डॉ अर्जुन मंडल ने किसानों को आँवला, अश्वगंधा, सैना, कुरू, सफेद मूसली, इसबगोल, अशोक, अतीस, जटामांसी, हरड़, महामेदा, तुलसी, ब्राह्मी, बेहड़ा, चंदन, घीकवार, कालामेधा, गिलोय, ज्वाटे, मरूआ, सदाबहार, हरश्रृंगार, घृतकुमारी, पत्थरचट, नागदौन, शंखपुष्पी, सतावर, हल्दी, सर्पगंधा, विल्ब, पुदिना, अकरकरा, सुर्दान, काला जीरा और गुलदौरी के खेती को जैविक विधि से करने की जानकारी दी। उन्होंने हर्बल की खेती करने संबंधी किसानों की अनेक जिज्ञासाओं को भी शांत किया।
प्रशिक्षण शिविर के समापन पर माँ सेवा संस्थान के सचिव अमित सिंह ने कहा कि भारत के लगभग दो तिहाई कार्यबल के लिए कृषि, आजीविका का साधन है, जिसमें हर्बल की खेती, आय का एक अच्छा स्रोत है, बस जरूरत है तो किसानों को थोड़ा जागरूक करने की। उनकी संस्था आगे भी गांवों में कार्यशाला आयोजित कर किसानों को औषधीय पौधों की खेती की जानकारी देगी और उन्हें बीज और पौधे उपलब्ध कराने के अलावा पौधों की समुचित देखभाल का तरीका भी बताया जाएगा।
अमित सिंह ने बताया कि कृषि विभाग एवं हर्बल व्यवसायियों के साथ मिलकर किसानों की फसल को सही दाम पर बेचने की व्यवस्था भी की जाएगी। प्रशिक्षण शिविर के पहले दिन कृषि वैज्ञानिक डॉ प्रमोद दूबे, डॉ हरबंश गुप्ता और डॉ रमेश मौर्य ने जैविक विधि से हर्बल की खेती करने के लिए मृदा, बीज, भंडारण, विपणन, मूल्य निर्धारण और उर्वरक, कीटनाशक, प्राकृतिक आपदाएं, फसल संरक्षण, बैंकों से ऋण और अनुसंधान जैसे विभिन्न विषयों पर गहन प्रशिक्षण दिया। शिविर में विभिन्न जिलों से कुल 76 किसानों ने भाग लिया।