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नई दिल्ली। भारत ने देश के एकीकृत मिसाइल विकास कार्यक्रम में इतिहास रचते हुए लंबी दूरी की बलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का बृहस्पतिवार सफल परीक्षण किया। अग्नि-5 मिसाइल का स्वत: परीक्षण आठ बजकर चार मिनट पर शुरू हुआ। बादलों की पतली परत को बेधते हुए यह मिसाइल आठ बजकर सात मिनट पर परीक्षण स्थल से उड़ा और ठीक उसी दिशा में ऊपर उठने लगा जो वैज्ञानिकों ने निर्धारित किया था। पांच हजार किलोमीटर के दायरे तक मार करने वाला यह मिसाइल तीन चरणों में आगे बढ़ा और अंत में सही समयावधि में बंगाल की खाड़ी में गिर गया। डीआरडीओ तीनों चरणों में विकसित मिसाइल ने वैसा ही प्रदर्शन किया जैसा निश्चित किया गया था। पूरी तरह देश में विकसित रॉकेट मोटरों ने बेहतर प्रदर्शन किया जिससे यह जाहिर होता है कि भारत कॉम्प्लेक्स प्रोपल्सन टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर हो गया है। अग्नि-5 के परीक्षण में पूरी तरह से देश में विकसित कई नई तकनीकों की भी जांच हो गई जो सफल रहीं।
अग्नि-5 के सफल परीक्षण प्रक्षेपण पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने डीआरडीओ के वैज्ञानिकों और तकनीकी अधिकारियों को बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने अग्नि-5 के सफल परीक्षण प्रक्षेपण पर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन-डीआरडीओ के वैज्ञानिकों और तकनीकी अधिकारियों भेजे बधाई संदेश में कहा है कि पूरा देश मिलकर हमारे वैज्ञानिकों का सम्मान कर रहा है, जिन्होंने हमारे देश को गौरव प्रदान किया है। मनमोहन सिंह ने डीआरडीओ के निदेशक डॉ सारस्वत को और उनकी टीम को बधाई देने के लिए स्वयं डॉ सारस्वत से बात की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि डीआरडीओ और अन्य संगठनों के वैज्ञानिकों और तकनीकी अधिकारियों को मैं बधाई देता हूं, जिन्होंने देश की रक्षा और सुरक्षा को मजबूत करने के हमारे प्रयासों में योगदान के लिए अथक परिश्रम किया है। अग्नि-5 का यह सफल परीक्षण प्रक्षेपण हमारे देश की सुरक्षा और तैयारियों की विश्वसनीयता के हमारे प्रयासों और विज्ञान के क्षेत्रों में संभावनाओं की निरंतर खोज की दिशा में एक और उपलब्धि माना जा रहा है। पूरा देश मिलकर वैज्ञानिकों की उपलब्धियों का सम्मान कर रहा है, जिन्होंने भारत के गौरव प्रदान किया है।
भारत के उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने भी डीआरडीओ के नेतृत्व और वैज्ञानिकों को अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षण प्रक्षेपण के लिए बधाई दी। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि हमारे वैज्ञानिकों ने देश को इस शानदार उपलब्धि से गौरवान्वित किया है, जिससे कि हमारी वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताएं प्रदर्शित होती हैं। उन्होंने एक संदेश में कहा कि मैं आज अग्नि-5 के सफल परीक्षण प्रक्षेपण से प्रसन्न हूं, इस शानदार उपलब्धि में हमारी वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताएं प्रदर्शित होती हैं, मैं रक्षा अनुसंधान और विकास संस्थान के नेतृत्व और वैज्ञानिकों को बधाई देता हूं, जिन्होंने हमारे देश की जरूरतों के अनुसार तकनीक का विकास किया है और वे राष्ट्र के निर्माण में निरंतर योगदान देते रहे हैं।
रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा है कि अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का पहला परीक्षण प्रक्षेपण भारत और भारतीय वैज्ञानिकों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। सफल प्रक्षेपण के तुरंत बाद एंटनी ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन-डीआरडीओ के प्रमुख डॉ वीके सारस्वत और परियोजना निदेशक अविनाश चंद्र से बात की और इस अद्भुत सफलता के लिए पूरी टीम को बधाई दी। एंटनी ने कहा कि आज की यह उपलब्धि देश के मिसाइल कार्यक्रम में एक बड़ा मील का पत्थर है। यह उपलब्धि हमें डीआरडीओ के उन अनेक वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों की याद दिलाती है, जिन्होंने देश को इस स्थिति में पहुंचाने के लिए वर्षों तक लगातार मेहनत की है। एंटनी ने डीआरडीओ के पूर्व अध्यक्ष एम नटराजन से भी बात की और संगठन की विभिन्न परियोजनाओं में उनके योगदान की सराहना की।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने भी अग्नि-5 के सफल परीक्षण पर बधाई दी है। प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने डीआरडीओ प्रमुख डॉ वीके सारस्वत और कार्यक्रम निर्देशक अविनाश चंदर से बातचीत की और अग्नि-5 के सफल परीक्षण पर डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी। परीक्षण के मौके पर मौजूद कमांडर इन चीफ एयर मार्शल केजे मैथ्यूज ने अग्नि-5 के सफल परीक्षण को भारत के लिए एक एतिहासिक घटना करार दिया। अग्नि-5 के सफल परीक्षण के मौके पर कई अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। परियोजना निदेशक आरके गुप्ता ने परीक्षण के दौरान डीआरडीओ के वैज्ञानिकों के दल और कर्मचारियों का नेतृत्व किया।
भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने अग्नि-5 के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण पर भारतीय वैज्ञानिकों को बधाई दी है। भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने पूरी तरह से स्वदेशी अग्नि-5 मिसाइल के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण की सराहना की है, जिसके कारण भारत शक्तिशाली राष्ट्रों के क्लब में शामिल हो गया है, चूंकि भारत अब एक मिसाइल शक्ति बन गया है, अतः इस अवसर पर गडकरी ने राष्ट्र की सुरक्षा में इस गौरवमयी उपलब्धि के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी है।