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लखनऊ। रामस्वरूप इंजीनियरिंग कॉलेज के एमसीए अंतिम वर्ष के छात्र अमान सिद्दीकी एक उदीयमान एमसीए छात्र होने के साथ-साथ एक क्वायन कलेक्टर भी हैं। इनके पास दुनिया भर के दुर्लभ और बेहतरीन कला संस्कृति और काल के सिक्कों का संग्रह है। अपने कॅरियर के व्यस्त समय मे से समय निकाल कर अमान अपने क्वायन कलेक्शन के शौक को लोकप्रियता की ओर ले जा रहे हैं।
अमान के इस शौक के प्रेरणा-स्रोत उनके बड़े पापा हमीद अख़तर सिद्दीकी हैं जो कि भारत के जाने माने न्यूमिसमैटिक हैं और अवध राज्य, मुगल काल, बहमिनी सल्तनत पर कार्य कर रहे हैं। बचपन से अपने बड़े पापा के क्वायन को देखते-देखते अमान के अंदर भी इस शौक ने जन्म ले लिया और आज अमान भी एक अग्रसर क्वायन कलेक्टर हैं।
अमान के क्वायन समूह में थाईलैंड, कनाडा, ईरान, इजिप्ट, चाईना, यूसए, यूएई, सऊदी-अरेबिया, मलेशिया, आस्ट्रेलिया, बेहरीन, नेपाल, पाकिस्तान, जर्मनी, मस्कट, ओमान, जापान, एशिया, बांग्लादेश, फ्रांस, इंडोनेशिया, हॉग-कॉग, आईसलैंड, नार्वे, सिंगापुर, पोलैंड, केन्या, फिलीपींस, भूटान, इटली, ग्रीस, इंग्लैंड, रोमानिया, स्वीडन, माल्टीईस, स्पेन, बर्मा, श्रीलंका आदि देशों के पुरातन और नूतन सिक्कों का संग्रह है। इसके अतिरिक्त उनके समूह में अंग्रेजी साम्राज्य, अवध काल और मुगल काल का भी अच्छा संग्रह है। अमान का कहना है कि वह आने वाले दिनों में अपने क्वायन कलेक्शन संग्रह की लखनऊ प्रदर्शनी लगाएंगे।
अमान के पिता हसीन अखतर सिद्दीकी उत्तर प्रदेश सरकार की नौकरी में हैं। वो और उनकी मां फरहत सिद्दीकी उनके इस काम की बड़ी प्रशंसक हैं। सिक्कों के संग्रह में उनके दोस्त विनोद कुमार का भारी सहयोग है। उनके कुछ दोस्तों और रिश्तेदारों को ही मालूम है कि उनका यह भी शौक है।
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