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देहरादून। आउटसोर्सिंग से भरे जाने वाले रिक्त पदों में भी आरक्षण लागू किया जाए, जिसका जो अधिकार है, उसे मिलना चाहिए। यह निर्देश समाज कल्याण मंत्री सुरेंद्र राकेश ने सचिवालय में आयोजित एक बैठक में दिए। उत्तर प्रदेश के समय में जारी शासनादेश का हवाला देते हुए समाज कल्याण मंत्री ने कहा कि 1989 में जारी इस शासनादेश में नियमानुसार अनुसूचित जाति, जनजाति के आरक्षण की व्यवस्था की गयी थी। अल्पकालिक, संविदा और दैनिक वेतन पर रखे जाने वाले राज्यसेवा के कार्मिकों के लिए आरक्षण की व्यवस्था अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय में की गयी थी। राकेश ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि उत्तराखंड राज्य में यह व्यवस्था अभी तक नहीं लागू की गई।
समाज कल्याण मंत्री ने यह निर्देश दिए कि विशेष अभियान चलाकर अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के पदों में बैकलॉग पूरा किया जाए। यह संकल्प उत्तराखंड सरकार ने राज्यपाल के अभिभाषण में भी व्यक्त किया था। सरकार की यह घोषणा भी है, कि विशेष अभियान चलाकर अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के पदों को भरा जाएगा। उन्होने कहा कि उपनल, पीआरडी या अन्य सेवादाता एंजेसी से कार्मिकों की मांग करते समय अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के पदों का विवरण अलग-अलग दिया जाए। रिक्त स्थायी पदों पर आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती किए जाने की बजाय नियमित नियुक्ति देना बेहतर होगा, इससे उनको वाजिब हक मिल पाएगा। उन्होंने सभी विभागों से उनके विभाग में रिक्त पदों की संख्या, आउटसोर्सिंग से भरे जाने वाले पद और लागू आरक्षण की स्थिति की जानकारी मांगी।
अपर सचिव (स्वतंत्र प्रभार) समाज कल्याण सुबर्धन ने बताया कि आउटसोर्सिंग के जरिए 14,000 पद भरे गए हैं, इनमें अनुसूचित जाति के मात्र 4 प्रतिशत और अनुसूचित जन जाति के 1.5 प्रतिशत लोगों को ही रखा गया है। इससे जाहिर है कि आरक्षण व्यवस्था नहीं लागू की गई है। उन्होंने कहा कि इस बारे में जल्द ही मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक कर शासनादेश जारी किया जाएगा। बैठक में सचिव मुख्यमंत्री एमएच खान, सचिव पंचायती राज अरूण कुमार ढोंढियाल, सचिव परिवहन उमाकांत पंवार, अपर सचिव अमित नेगी, अजय प्रद्योत, कुंवर सिंह, पंकज पाण्डे, वीआर टम्टा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।