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बीसीसीआई के विरुद्ध पीआईएल

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में बोर्ड ऑफ क्रिकेट कंट्रोल इन इंडिया (बीसीसीआई) के विरुद्ध एक पीआईएल दायर की है, जिसमें कहा गया है कि खेल विभाग, युवा और खेल मंत्रालय, कई सारे नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन (एनएसएफ) को मान्यता देता है, इन एनएसएफ को संबंधित खेल के विकास की प्राथमिक जिम्मेदारी दी जाती है, खेल विभाग प्रत्एक खेल में एक एनएसएफ को मान्यता देता है, वर्ष 2011 के लिए 43 खेलों को मान्यता प्रदान की गई किंतु क्रिकेट का खेल इस सूची में नहीं है और न ही बीसीसीआई एक मान्यता प्राप्त एनएसएफ है।
पीआईएल में कहा गया है कि बीसीसीआई हमेशा इस बात का दावा करता है कि वह एक निजी संस्था है,जिस पर किसी भी प्रकार का सरकारी नियंत्रण या सरकारी सरोकार नहीं है, उसका यह भी कहना रहता है कि उसने कभी भी एनएसएफ बनने के लिए आवेदन तक नहीं किया है। इसके बावजूद बीसीसीआई एक एनएसएफ की तरह आचरण करता है और एनएसएफ की पूरी सुविधाएं और लाभ उठाता है। वह द्रोणाचार्य अवार्ड, अर्जुन अवार्ड जैसे विभिन्न सरकारी खेल पुरस्कारों के लिए नाम भेजता है, जबकि नियम यह है कि मात्र मान्यता प्राप्त एनएसएफ ही इन पुरस्कारों के लिए नाम भेज सकते हैं और उनका पुनरीक्षण कर सकते हैं।
बीसीसीआई अपने नाम के अंत में इंडिया शब्द लगाता है, जो उसे भारत सरकार की मान्यता दिए जाने का भ्रम पैदा करता है, जबकि अभिलेखों के अनुसार सरकार ने उसे ऐसी मान्यता कभी नहीं दी। यह एम्ब्लेम एंड नेम (प्रिवेंशन ऑफ इम्प्रोपर यूज) एक्ट 1950 की धारा 3 का स्पष्ट उल्लंघन है। इसी तरह से बीसीसीआई की नियमावली के नियम 9 में उसे पूरे देश में क्रिकेट के लिए नियम बनाने का अधिकार है, जबकि उसे इस तरह से क़ानून बनाने का अधिकार किसी ने नहीं दिया। बीसीसीआई अपनी चयनित टीम को टीम इंडिया कहता है, जबकि एक गैर मान्यता प्राप्त निजी संस्था की टीम, टीम इंडिया नहीं कही जा सकती, इसी तरह से बीसीसीआई आरटीआई एक्ट की परिधि में आने से इनकार करता है, जबकि ज्यादातर एनएसएफ आरटीआई एक्ट की परिधि में हैं।
इस तरह बीसीसीआई सभी प्रकार की सरकारी सुविधाओं को उठा रहा है और साथ ही तमाम नियम भी तोड़ रहा है, वह सरकार अथवा जनता के प्रति किसी भी प्रकार के विधिक उत्तरदायित्व और जिम्मेदारी को भी दरकिनार कर रहा है, यह स्थिति बीसीसीआई को देश के क़ानून से ऊपर दर्शाती है। अमिताभ और नूतन ने यह प्रार्थना की है कि सरकार बीसीसीआई को नियमानुसार एनएसएफ के रूप में मान्यता प्राप्त करने को कहे और यदि बीसीसीआई इसके लिए सहमत नहीं होता है, तो किसी अन्य क्रिकेट एसोसिएशन को नियमानुसार एनएसएफ के रूप में मान्यता दे कर इस विरोधाभास की स्थिति को दूर करे।

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