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नई दिल्ली। भारत में आधिकारिक दौरे पर आए संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद के साथ विचार विमर्श किया। संयुक्त राष्ट्र महासचिव की यात्रा सार्वजनिक स्वास्थ्य के अहम मुद्दों पर केंद्रित है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भारत के साथ अपने लंबे संबंधों को बहुत प्रेम पूर्वक याद किया। उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र का एक अहम सदस्य देश है, सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्य के कुछ और कार्यों के प्रति संज्ञान लेते हुए उन्होंने कहा कि वे भारत के अनुभवों और श्रेष्ठ मातृत्व तथा शिशु स्वास्थ्य के अनुभवों तथा व्यवहार को अन्य देशों में भी अनुकरण करता देखना चाहते हैं। उन्होंने पोलियों का सामना करने में भारत की सफलता की प्रशंसा की और कहा कि वे मलेरिया, टिटनेस, खसरा तथा एचआईवी संक्रमण संबंधी मृत्यु से निपटने में भी भारत को अपनी शुभकामनांए देते हैं। बान की मून ने कहा कि साधारण चीजों का भी बहुत महत्व होता है। उन्होंने अपने उस कार्यक्रम ‘प्रत्येक महिला प्रत्येक शिशु’ का जिक्र किया जिसने दुनिया का ध्यान प्रत्येक बच्चे और महिला की और केंद्रित कर दिया है।
गुलाम नबी आजाद ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव से आग्रह किया कि वे सदस्य देशों का आह्वान करें कि वे वैश्विक समुदाय के आम हित के लिए अपनी वित्तीय और तकनीकी सहायता में कटौती ना करे। आजाद ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में जून और सितंबर, 2011 में स्वास्थ्य संबंधी अह्म विषयों एचआईवी एड्स और गैर संचारी बीमारियों पर विश्व के राष्ट्राध्यक्षों, सरकार के मुखिया और स्वास्थ्य मंत्रियों का एक उच्च स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया था। केंद्रीय सहायता से चलाये जा रहे राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम से पिछले एक दशक में वार्षिक तौर पर नए संक्रमण में 56 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है।
भारत में एचआईवी की निगरानी के लिए सबसे बड़ा नेटवर्क है। इसमें 1300 सतर्कता साइट्स हैं जो प्रभावी तौर पर मुख्य जोखिम वाले समूहों को लक्षित करते हैं और बचाव और उपचार पहल से जुडे हैं। साथ ही यह एचआईवी/ एड्स से जुड़े कलंक और भेद-भाव को दूर करने के लिए अभियान चलाता है। आजाद ने कहा कि भारत सरकार ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के चौथे चरण को सहायता के जरिए आगे बढ़ाने का फैसला किया है, जिन्हें घरेलू संसाधनों के अमल में लाया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात का भी उल्लेख किया विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में भारत का नाम पोलियो बीमारी वाले देशों की सूची से हटा लिया है।
गैर संचारी बीमारियों के बारे में आजाद ने कहा कि विश्व के विकसित और विकासशील देशों दोनों में ही गैर संचारी रोग संबंधी खतरों की चुनौतियों के बारे में वैश्विक नेतृत्व को सुग्राही बनाने में महासचिव के प्रयास अत्यधिक प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की आम सभा के विशेष सत्र से पहले भारत ने मधुमेह, ह्दयवाहिनी रोगों, कैंसर और ह्दय घात संबंधी तथा बुजुर्गों के स्वास्थ्य जैसी गैर संचारी रोगों की पूर्व पहचान और इलाज के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम आरंभ किया है। पायलट परियोजना के तौर पर इसे देश के 21 राज्यों के 100 सबसे सुदूरवर्ती और पिछड़े जिलों में लगभग 1230 करोड़ रूपये की सहायता से आरंभ किया जाएगा।
दुनिया में यह सबसे बड़ा स्वास्थ्य अभियान है जो 100 से 150 मिलियन आधार जनसंख्या को लाभान्वित करेगा। अप्रैल 2012 से आरंभ हो रही 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान इस कार्यक्रम को व्यापक तौर पर पूरे देश में लागू करने का फैसला किया गया है, जिससे कि ऐसे रोगों की जल्दी पहचान हो सके और उन्हें निशु:ल्क औषिध वितरित की जा सके। आजाद ने कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्वास्थ्य की पहचान प्रमुख क्षेत्र के रूप में की गई है और सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकारी व्यय और बढ़ाया जाएगा। साथ ही सरकार ने जनसंचार के साधनों की सहायता से जननी सुरक्षा योजना, जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम को लोगों तक पहुंचाने की पहल शुरू की है।